लखनऊ/अयोध्या: रामलला प्राचीन काल से ही पूजा का केंद्र रहे हैं, लेकिन उनसे जुड़ी श्रद्धा तब अपने चरम पर पहुंच गई जब एक नवनिर्मित मंदिर में उनकी सुंदर मूर्ति स्थापित की गई। हर दिन देश के विभिन्न हिस्सों से 2 लाख से 2.5 लाख श्रद्धालु दर्शन का आनंद लेने आ रहे हैं। रामलला का विश्वव्यापी […]
लखनऊ/अयोध्या: रामलला प्राचीन काल से ही पूजा का केंद्र रहे हैं, लेकिन उनसे जुड़ी श्रद्धा तब अपने चरम पर पहुंच गई जब एक नवनिर्मित मंदिर में उनकी सुंदर मूर्ति स्थापित की गई। हर दिन देश के विभिन्न हिस्सों से 2 लाख से 2.5 लाख श्रद्धालु दर्शन का आनंद लेने आ रहे हैं। रामलला का विश्वव्यापी चरित्र अन्य देशों से आए मेहमानों से भी उभरता है जो आस्थावानों की बहुत घनी और लंबी कतारों में खड़े होते हैं।
बता दें इस सप्ताह रामलला के दर्शन करने वालों में आठ नेपाली सांसद और सूरीनाम की नेशनल असेंबली के नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद और पूर्व श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे लक्ष्मण नमल राजपक्षे शामिल थे। इन विदेशी भक्तों का आगमन महज प्रतीकात्मक शिष्टाचार नहीं था, बल्कि उन्होंने रामलला और उनकी नगरी समेत सनातन संस्कृति को नमन किया. माता जानकी की नगरी जनकपुर समेत पूरे नेपाल का श्रीराम और रामनगरी से रिश्ता जगजाहिर है। …इस प्रकार, सूरीनाम के प्रतिनिधिमंडल ने यह याद करके रिश्ते के मर्म को छू लिया कि उनके पूर्वज 150 साल पहले पास के पूर्वांचल और रामनगरी से गिरमिटिया मजदूरों के रूप में सूरीनाम गए थे।
रामकथा अब लगभग 6 दर्जन देशों में किसी न किसी रूप में फैली हुई है। डेढ़ दर्जन देशों में उनकी लीला प्रस्तुत की जाती हैं। कई देशों में राम के अनुयायियों को एक प्रभावशाली समूह माना जाता है. विदेशी ऋणदाताओं की बढ़ती संख्या का रुझान भविष्य में भी जारी रहने की उम्मीद है।
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