Ayodhya Land Dispute: अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले का स्थायी हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एफएम कलीफुल्ला के नेतृत्व में एक मध्यस्थता कमिटी का गठन किया है. इसमें आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को भी रखा गया है. ये तीनों फैजाबाद में अयोध्या राम मंदिर मामले से जुड़े सभी पक्षों के बीच मध्यस्थता कर मामले को सुलझाएंगे.
नई दिल्ली. अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद का स्थायी समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तीन मध्यस्थ के नाम फाइनल किए हैं. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कलीफुल्ला इस तीन सदस्यीय पैनल के अध्यक्ष होंगे. इसमें जस्टिस कलीफुल्ला के अलावा आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को भी रखा गया है. खास बात यह है कि एक हफ्ते में इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा. चार हफ्ते के भीतर मध्यस्थता पैनल अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगा. इसकी फाइनल रिपोर्ट आठ हफ्ते बाद कोर्ट को सौंपी जाएगी. आइए जानते हैं राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के तीनों मध्यस्थ के बारे में-
1. जस्टिस कलीफुल्ला.
इनका पूरा नाम फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है. जस्टिस कलीफुल्ला सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं. ये तमिलनाडु के शिवगंगई जिले के रहने वाले हैं. खलीफुल्ला जम्मू-कश्मीर के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट में बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया जहां उन्होंने जुलाई 2016 तक करीब 4 साल सेवा दी. अब खलीफुल्ला अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे.
2. श्री श्री रविशंकर
ये एक अध्यात्मिक गुरु हैं. श्री श्री रविशंकर का एक आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन नाम से एनजीओ है, जो सामाजिक सेवा के लिए जाना जाता है. श्री श्री रविशंकर को गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है. श्री श्री भले ही एक हिंदु संत हैं लेकिन वे एक कट्टर धार्मिक गुरु नहीं है. अपने फाउंडेशन के जरिए वे विश्व में शांति और मानवता का प्रचार करते हैं. यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोध्या मामले में मध्यस्थता के लिए चुना.
3. श्रीराम पंचू
अयोध्या मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल में वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू का भी नाम है. श्रीराम पंचू कई मामलों में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके हैं. श्रीराम पंचू भारतीय मध्यस्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. श्रीराम पंचू का मानना है कि मध्यस्थता के जरिए कानूनी मामले आसानी से सुलझाए जा सकते हैं. इसलिए इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में मध्यस्थ बनाया है. इस मामले में श्रीराम पंचू का कानूनी अनुभव बखूबी रूप से काम आएगा.