Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 38 Written Updates, Ram Janambhumi Mamla: सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या के राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 38वें दिन की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि सभी सवाल केवल मुस्लिम पक्ष से ही पीठ क्यों पूछ रहे हैं हिन्दू पक्ष से क्यों नही? मुस्लिम पक्ष के पास दलीलें रखने का आज आखिरी दिन था. अब 16 और 17 अक्टूबर को बाकि पक्षकार दलीलें देंगे.
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 38 Written Updates: अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई अंतिम दौर में है. सोमवार को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलीलें रखीं. मामले की 38वें दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पांच जजों की पीठ पर सवाल उठाए. मामले की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा कि सभी सवाल केवल मुस्लिम पक्ष से ही पीठ क्यों पूछ रहे हैं हिन्दू पक्ष से क्यों नही?
दअरसल मामले की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा ASI की रिपोर्ट में किसी मंदिर के ध्वस्त करने की बात नहीं कही गई है, हमने अपना टाइटल नहीं गंवाया है. धवन ने कहा कि ताला खुलने के बाद भी हिंदुओं का वहां पर कब्ज़ा नहीं रहा है, हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार रहा है. इसपर जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप ये कह रहे हैं कि हिन्दू अंदर जाते थे और पूजा अर्चना करते रहे हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि इससे आपके अधिकार को असर नहीं पड़ेगा? दअरसल कोर्ट के कहने का मतलब था कि आपकी सम्पति में कोई जाता है तो आपको मालिकाना हक को लेकर फ़र्क नहीं पड़ेगा?
इसी बीच जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने राजीव धवन से हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्ज़े के बारे में पूछा, जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चाबूतरा की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था. जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा अंग्रेजों ने रेलिंग इसलिए लगाई क्योंकि एक हिस्से में हिन्दू पूजा करते थे दूसरे हिस्से में मुस्लिम? इसपर राजीव धवन ने पीठ से कहा कि वैसे सारे सवाल मुस्लिम पक्षकारों से ही पूछे जा रहे हैं, हिंदू पक्ष से सवाल पूछे ही नहीं गए. लेकिन कोई बात नहीं मैं पीठ के सभी सवालों के यथासम्भव जवाब दूंगा.
इस पर रामलला ने वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि राजीव धवन का ये सवाल अवांछनीय हैं. हालांकि पीठ ने इस पर कुछ नहीं कहा और मामले की सुनवाई आगे बढ़ी. धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष के पास कोई मालिकाना हक का दस्तावेज़ नहीं है और ना ही था. यह वक्फ की संपत्ति अंग्रेजों के समय से है और हिन्दुओं ने जबरन अवैध कब्जा किया.
– धवन ने कहा कि क्यों उन्हें (हिंदुओं को) पूजा का और सेवादार होने का अधिकार दिया गया जबकि उनके पास मालिकान हक नहीं था.
– धवन ने कहा 1885-86 तक, अंग्रेजों ने जो कुछ भी किया- प्रार्थना करने के लिए बाबरी परिसर को हिंदुओं के लिये पूर्वी द्वार को खोल दिया. इसका मतलब सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए था और इससे अधिक कुछ नहीं था.
-धवन ने कहां हमने 6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिराए जाने के बाद अपनी मांग बदली और हमारी यही मांग है कि हमें 5 दिसंबर 1992 की स्थिति में जिस तरह का ढांचा था उसी स्थिति में हमें मस्जिद सौंपी जाये.
– धवन ने कहा कि हिन्दुओं कि ओर से कई बार अतिक्रमण किया गया. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से मुस्लिमों के अधिकार की रक्षा का निर्देश भी जारी हुआ. यह साफ करता है कि मालिकाना हक मुस्लिमों का है.
– राजीव धवन ने फैज़ाबाद कोर्ट के आदेशों के बारे में बताते हुए कहा कि दिसंबर 1949 की घटना के बाद अंतरिम आदेश सिर्फ स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखने का था, अंतरिम आदेश के तहत किसी को मालिकाना हक़ नहीं दिया जा सकता.
-राजीव धवन ने कहा कि उनका सूट लिमीटेशन के दायरे में है. मुस्लिम पक्ष ने लिमिटेशन की अवधि खत्म होने से चार दिन पहले दाखिल किया था.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा 23 दिसंबर 1949 में के बाद वहां नमाज नहीं हुई, लेकिन पूजा होती रही?
इस पर राजीव धवन ने कहा कि मस्जिद में अगर किसी कारण से नमाज नहीं हो सकी तो इसका मतलब ये नहीं कि मस्जिद का अस्तित्व खत्म हो गया.