Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 38 Written Updates: अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में 38वें दिन सुनवाई, राम मंदिर पर फैसले के बाद मथुरा, काशी समेत 400 मंदिर-मस्जिद मामलों को उठाएगा हिंदू पक्ष, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 38 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठके सामने आज 38वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले की 38 वें दिन बहस की शुरुवात मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने की. राजीव धवन ने शिड्यूलिंग को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट ने मेरे पक्ष के जवाब के लिए समय तय नहीं किया था. धवन और वैद्यनाथन दोनों ने लिखित दलीले कोर्ट को दी. धवन ने गुम्बद को लेकर अपनी दलीलें शुरू की. इसी बीच हिंदू पक्ष ने कहा कि वह अयोध्या पर फैसले के बाद मथुरा, काशी समेत 400 मंदिर-मस्जिद मामलों को उठाएगा. गुम्बद के नीचे राम जन्म होने श्रद्धालुओं के वहीं फूल प्रसाद चढ़ाने का कोई भी दावा सिद्ध नहीं किया गया. यहां गुम्बद के नीचे तो ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे. जब वहां पूजा चल रही थी तो अंदर घुसने का मतलब क्या है? इसका मतलब पूजा बाहर ही हो रही थी. कभी भी मन्दिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई. वहां लगातार नमाज़ होती रही थी. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
October 14, 2019 7:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 38 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 38वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले की 38 वें दिन बहस की शुरुवात मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने की. राजीव धवन ने शिड्यूलिंग को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट ने मेरे पक्ष के जवाब के लिए समय तय नहीं किया था. धवन और वैद्यनाथन दोनों ने लिखित दलीले कोर्ट को दी. इसी बीच हिंदू पक्ष ने कहा कि वह अयोध्या पर फैसले के बाद मथुरा, काशी समेत 400 मंदिर-मस्जिद मामलों को उठाएगा. धवन ने गुम्बद को लेकर अपनी दलीलें शुरू की. गुम्बद के नीचे राम जन्म होने श्रद्धालुओं के वहीं फूल प्रसाद चढ़ाने का कोई भी दावा सिद्ध नहीं किया गया. यहां गुम्बद के नीचे तो ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे. जब वहां पूजा चल रही थी तो अंदर घुसने का मतलब क्या है? इसका मतलब पूजा बाहर ही हो रही थी. कभी भी मन्दिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई. वहां लगातार नमाज़ होती रही थी. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
धवन किस्से कहानियों के ज़रिए अपना दावा कर रहे हैं कि मै कोई यात्री की डायरी या श्रद्धा या विश्वास की बात नहीं करूंगा मैं सीधे शब्दों में कहूंगा कि विवादित स्थल पर हिंदुओं का कभी कोई एब्सोल्यूट और एक्सक्लुसिव कब्ज़ा नहीं था. उनको बाहर सिर्फ पूजा का अधिकार था. किसी ने भी आजतक ये नहीं माना कि हिंदुओं का आंतरिक अहाते पर कब्ज़ा था.
अगर बेंच मोल्डिंग ऑफ रीलीफ के तहत किसी एक पक्ष को मालिकाना हक देकर दूसरे को विकल्प देती है तो मुस्लिम पक्षकारों का ही दावा बनता है.
धवन की लिमिटेशन पर दलीलें.
तीन पहलू टाइटल का सवाल बंटवारा ही गलत था.
इस्लामिक कानून और कुरान बहुत पेचीदा है. हिन्दू पक्षकार इसके एक पक्ष के आधार पर हमारी वक़्फ़ की गई मस्जिद को खारिज नहीं कर सकते. दूसरा लिमिटेशन और तीसरा एडवर्स पजेशन को लेकर है.
धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष के पास कोई मालिकाना हक का दस्तावेज़ नहीं है और ना ही था. यह वक्फ कि संपत्ति अंग्रेजों के समय से है और हिन्दुओं ने जबरन अवैध कब्जा किया.
धवन ने कहा कि क्यों उन्हें (हिंदुओं को) पूजा का और सेवादार होने का अधिकार दिया गया जबकि उनके पास मालिकान हक नहीं था.
धवन ने कहा 1885-86 तक, अंग्रेजों ने जो कुछ भी किया – प्रार्थना करने के लिए बाबरी परिसर को हिंदुओं के लिये पूर्वी द्वार को खोल दिया – इसका मतलब सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए था और इससे अधिक कुछ नहीं था.
राजीव धवन: हमने 6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिराए जाने के बाद अपनी मांग बदली और हमारी यही मांग है कि हमें 5 दिसंबर 1992 की स्थिति में जिस तरह का ढ़ांचा था उसी स्थिति में हमें मस्जिद सौंपी जाय.
धवन ने कहा कि हिन्दुओं कि ओर से कई बार अतिक्रमण किया गया. इस दौरान राज्य सरकार कि ओर से मुस्लिमों के अधिकार कि रक्षा का निर्देश भी जारी हुआ. यह साफ करता है कि मालिकाना हक मुस्लिमों का है.
राजीव धवन ने फैज़ाबाद कोर्ट के आदेशों के बारे में बताते हुए कहा कि दिसंबर 1949 की घटना के बाद अंतरिम आदेश सिर्फ स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखने का था, अंतरिम आदेश के तहत किसी को मालिकाना हक़ नही दिया जा सकता.
कोर्ट के सवाल से असहज हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन, जवाब के बजाय लगाया आरोप कहा सभी सवाल हमसें क्यों?
धवन ने कहा कि ताला खुलने के बाद भी हिंदुओं का वहां पर कब्ज़ा नही रह है, हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार रहा है.
जिसपर जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप ये कह रहे है कि हिन्दू अंदर जाते थे और पूजा अर्चना करते रहे है, लेकिन सवाल ये उठता है कि इससे आपके अधिकार को असर नही पड़ेगा? दअरसल कोर्ट के कहने का मतलब था कि आपकी सम्पति में कोई जाता है तो आपको मालिकाना हक को लेकर फ़र्क नही पड़ेगा?
इसी बीच जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने राजीव धवन से हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्ज़े के बारे में पूछा, जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चाबूतरा की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था.
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा अंग्रेजों ने रेलिंग इस लिए लगाई क्योंकि एक हिस्से में हिन्दू पूजा करते थे दूसरे हिस्से में मुस्लिम?
इसपर राजीव धवन ने पीठ से कहा कि वैसे सारे सवाल मुस्लिम पक्षकारों से ही पूछे जा रहे हैं, हिंदू पक्ष से सवाल पूछे ही नहीं गए. लेकिन कोई बात नहीं मैं पीठ के सभी सवालों के यथासम्भव जवाब दूंगा.
इस पर रामलला ने वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि राजीव धवन का ये सवाल अवांछनीय है। हालांकि पीठ ने इस पर कुछ नही कहा और मामले की सुनवाई आगे बढ़ी.
राजीव धवन ने कहा कि उनका सूट लिमीटेशन के दायरे में है मुस्लिम पक्ष ने लिमिटेशन की अवधि खत्म होने से चार दिन पहले दाखिल किया था.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा 23 दिसंबर 1949 में के बाद वहां नमाज नहीं हुई, लेकिन पूजा होती रही?
धवन ने कहा लेकिन मस्जिद में अगर किसी कारण से नमाज नही हो सकी तो इसका मतलब ये नही कि मस्जिद का अस्तित्व खत्म हो गया।
राजीव धवन ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास का गठन इसलिए किया गया ताकि मस्जिद को गिराया जा सके.
राजीव धवन ने कहा हिन्दू पक्ष के पास इस बाबत कोई सबूत नही की भगवान राम का जन्म आंतरिक अहाते में हुआ था.
इस बात के भी कोई सबूत नही की आंतरिक अहाते में पूजा होती थी.
राजीव धवन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में जस्टिस खान और जस्टिस शर्मा की राय एक दूसरे अलग थी.
जस्टिस खान ने कहा था कि मस्जिद बनाने के लिए किसी स्ट्रक्चर को ध्वस्त नही किया गया था, जबकि जस्टिस शर्मा की राय इससे अलग थी.
धवन ने कहा जिलानी ने सही कहा था कि 1885 से पहले के किसी भी दस्तावेज़ नही स्वीकार किया जाना चाहिए.
1885 से पहले के जो दस्तावेज़ हिन्दू पक्ष के पास है वह सिर्फ विदेशी यात्रियों की किताब और स्कंद पुराण और दूसरी किताबे हैं.
राजीव धवन ने कहा कि मस्जिद को भले ही “ध्वस्त ” कर दिया गया हो लेकिन मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहती है.
अयोध्या में “ध्वस्त या गिराई” गई ईमारत आज भी मस्जिद है.
राजीव धवन ने कहा कि औरंगजेब बेहद लिबरल राजा था.
मुहम्मद गोरी सहित दूसरे लोग जिन्होंने भारत में युद्ध किया क्या उन्होंने मस्जिदों का निर्माण किया?
एक नई तरह का इतिहास लिखने की कोशिश न कि जाए.
अगर बाबर के काम की समीक्षा होगी तो अशोक की भी करनी होगी.
राजीव धवन ने कहा कि इस्लामिक कानून बेहद कॉम्प्लेक्स है? हिन्दू पक्ष के बेहद सीमित जानकारी है इसको लेकर.
पी एन मिश्रा ने राजीव धवन पर कहा कि आप ये कैसे कह सकते है कि हमको इस्लाम पर कम जानकारी है? बहस कर लीजिए.
पी एन मिश्रा ने कहा कि आप ये बताने वाले कौन है कि हम क्या बहस करे क्या नही?
कोर्ट ने हमें बहस करने की इजाजत दी हमनें की.
CJI ने मुस्कुराते हुए कहा ” राजीव धवन के पास असीम ज्ञान है.
राजीव धवन ने कहा कि मालिकाना हक़ को लेकर हिन्दू पक्ष के पास कोई सबूत नही.
राजीव धवन ने कहा कि क्या कोर्ट सभी उन 500 मस्जिदों की खुदाई कराएगा जिसको लेकर ये कहा जाता है कि ये हिन्दू मंदिर पर बने है ?
राजीव धवन ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मस्जिद के नीचे कुछ अंश किसी दूसरी धर्म के मिले है तो भी क्या 450 साल पुरानी मस्जिद अवैध हो जाएगी?
आज मामले की सुनवाई के अंत में CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने एक पत्र पढ़ते हुए कहा सुन्नी वक्फ बोर्ड यूपी के चेयरमैन ने मध्यस्थता कमिटी के सदस्य श्री राम पंचू को पत्र भेजा, पत्र में जान का खतरा बताया. उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने अध्यक्ष है, जफर अहमद फारुखी ने पत्र लिखा है.
जिस पर CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि उन्हें तुरंत सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया इस मामले की सुनवाई गुरुवार तक पूरी कर ली जाएगी.
इस पर CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने मुस्कुराते हुए कहा कि हम सुनवाई “बुधवार” को भी पूरी कर सकते है.
ये कहते हुए पांच सदस्यीय संविधान पीठ उठ गई.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन मंगलवार को भी बहस जारी रखेंगे.