Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 30वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 30वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. पीठ के सामने मुस्लिम पक्ष ने माना राम चबूतरा ही जन्मस्थान है. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस मामले में डिस्ट्रिक्ट जज का आदेश है कि हिंदू राम चबूतरे को जन्मस्थान मानते थे. कोर्ट का आदेश है तो हम इससे अलग कैसे हो सकते है? धवन ने अयोध्या विवाद से जुड़ी कई पुरानी याचिकाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि हम साबित करने की कोशिश कर रहे है कि मस्जिद पर मुस्लिम पक्ष का कब्ज़ा था. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
September 24, 2019 8:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 30वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. पीठ के सामने मुस्लिम पक्ष ने माना राम चबूतरा ही जन्मस्थान है. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस मामले में डिस्ट्रिक जज का आदेश है कि हिंदू राम चबूतरे को जनस्थान मानते थे. कोर्ट का आदेश है तो हम इससे अलग कैसे हो सकते है? धवन ने अयोध्या विवाद से जुड़ी कई पुरानी याचिकाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि हम साबित करने की कोशिश कर रहे है कि मस्जिद पर मुस्लिम पक्ष का कब्ज़ा था. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
राजीव धवन ने कहा कि मुतावल्ली ने अर्ज़ी दाखिल की थी जिसपर सरकार ने आदेश दिया था गर मस्जिद पर मुस्लिम का कब्ज़ा नही होता तो वह मुतावल्ली अर्ज़ी क्यों लगाता और सरकार फैसला क्यों देती इससे साबित होता है मस्जिद पर मुस्लिम का कब्ज़ा था.
मोहम्मद अजगर ने कब्रिस्तान पर कब्ज़े के लिए अर्ज़ी लगाई थी, रघुवर दास ने याचिका दाखिल की और कहा था कि मुस्लिम वहां पर सफेद पेंट की पुताई कर रहे है.
धवन ने हिन्दू पक्ष के एक गवाह का बयान पढ़ते हुए कहा कि भगवान राम की मूर्ति गर्भ गृह में नही थी, गर्भ गृह के अंदर कोई भी भगवान तस्वीर नही थी लेकिन तब भी जो लोग पूजा करने आते वह रैलिंग की तरफ जा कर गर्भ गृह की तरफ जाते थे.
राजीव धवन ने कहा- गोपाल सिंह विशारद ने श्रीरामजन्मभूमि पर पूजा के व्यक्तिगत अधिकार का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था और उनकी मौत के बाद उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रहा.
राजीव धवन ने हिन्दू पक्ष के एक गवाह की गवाही पढ़ते हुए कहा कि पूजा सिर्फ राम चबूतरे पर करते थे, और लोग राम चबूतरे के पास लगी रैलिंग की तरफ भी जाते थे, मूर्ति गर्भ गृह में कैसे गई इस बारे में उसको जानकारी नही है.
राजीव धवन ने कहा कि 1949 में पता चला कि गर्भ गृह में भगवान का अवतरण हुआ है, लेकिन उससे पहले वहाँ मूर्ति नही थी.
धवन ने कहा कि पौराणिक विश्वास के अनुसार पूरे अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है लेकिन इसके बारे में कोई एक खास जगह नही बताई गई है.
धवन ने कई गवाहों के बयान का हवाला देते हुए ये साबित करने की कोशिश की कि कि मुसलमान उस जगह पर अपना दावा ठोकते रहे. वो चाहते थे कि नमाज़ के दौरान कोई दूसरा स्पीकर वहां न बजे. ये साबित करता है कि उनका वहां कब्जा रहा और वो वहां नमाज़ अदा करते रहे.
राजीव धवन ने कहा कि गर्भ गृह के भीतर कभी पूजा नही हुई. गलत तरीके से रखी गई मूर्ति दावे के अधिकार नही हो सकती। राजीव धवन ने पिछले 13 दिन से मुस्लिम पक्ष की तरफ बहस कर रहे थे, आज 14 वें दिन उन्होंने बहस पूरी कर ली. राजीव धवन ने बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से जफरयाब जिलानी ने बहस की शुरुवात की.
जफरयाब जिलानी ने कहा जन्मस्थल पर रामजन्म का विश्वास तो है पर सबूत नहीं.
दलीले तीन आधार पर रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण ये तो याचिकाकर्ताओं को साबित करना है कि और कौन कौन सी किताबों में ज़िक्र है!
मानस और रामायण में कहीं विशिष्ट तौर पर राम जन्मस्थान का कोई जिक्र नहीं.
कोई सबूत नहीं कि 1949 से पहले मध्य गुंबद के नीचे रामजन्म, पूजा का कोई अस्तित्व या सबूत नहीं मिलता.
बोबड़े- आप ये सबूत भी देंगे कि 1949 से पहले वहां नियमित नमाज़ होती थी?
जिलानी- इसके लिखित नहीं ज़बानी सबूत हैं.
अशोक भूषण- हिन्दू पक्ष भी रामायण और मानस में अयोध्या में दशरथ महल में राम जन्म का ज़िक्र है लेकिन स्थान का नहीं.
चंद्रचूड़- दोनों ग्रन्थों में अयोध्या में रामजन्म का ज़िक्र है इसका मतलब क्या ये है कि अयोध्या में कहीं भी रामजन्मभूमि का दावा कर दें.
जिलानी- रामचबूतरा मन्दिर से पुराना नहीं है.
जिलानी ने रामानन्दाचार्य और रामभद्राचार्य के हवाले से कहा कि उनकी मानस टीका में भी अवधपुरी का ज़िक्र है।. किसी खास स्थान का नहीं.
दोहा शतक के सबूत को जिलानी ने खारिज करते हुए कहा कि इसके तुलसीकृत होने का सबूत नहीं दिया गया.
स्कन्दपुराण में अयोध्या खण्ड में राम जन्मस्थान को लेकर चौहद्दी और दूरी का ज़िक्र है. लेकिन अब वो जगह नहीं मिल रही जिसका जिक्र पुराण में है.
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अयोध्या में रामजन्म को लेकर आपका विवाद नहीं? सिर्फ जन्मस्थान को लेकर है?
जिलानी- जी बिल्कुल
बोबड़े- आप राम चबूतरे को राम जन्मस्थान मानते हैं?
जिलानी- जी,पहले सभी यही मानते रहे हैं. स्कन्दपुराण कहता है कि जन्मस्थान अमुक अमुक स्थान से अमुक दूरी पर है। लेकिन अब वो स्थान अस्तित्व में नहीं है.
जिलानी- 1886 में जिला जज ने भी अपने फैसले में रामचबूतरा को जन्मस्थान मानते हुए वहां पूजा करने की इजाज़त दी थी.
जिलानी- 1885 के फैसले में भी ये ही कहा गया कि चबूतरा ही जन्मस्थान है। पर बाद में हिन्दू जन्मस्थान मन्दिर बताते हुए आंतरिक अहाते और गुंबद वाली इमारत पर दावा करने लगे.
बोबड़े ने पूछा- आप मानते हैं कि इस फैसले को किसी ने चुनौती नहीं दी?
जिलानी- हमने तो चुनौती नहीं दी. पर बाद में बहुत सी रिट दाखिल हुईं.पर वे इसे चुनौती देते हुए नहीं बल्कि अधिकार को लेकर थीं.
जिलानी- हिन्दू 1885 के फैसले में पूजा का अधिकार मिलने के बाद हिन्दू वहां चबूतरे पर ही मन्दिर बनाना चाहते थे. पर तब की जिला कोर्ट ने इसकी इजाज़त नहीं दी थी.
गवाह सत्यनारायण त्रिपाठी के बयान के हवाले से जिलानी बोले- मानस में भी सिर्फ अयोध्या का ज़िक्र है राम जन्मस्थान का नहीं.
एक गवाह ने दशरथ के महल में रामजन्म होने का ज़िक्र है. पर महल की स्थिति का पता नहीं.
जस्टिस चंद्रचूड़- गवाहों ने शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा है कि सीताकूप के अग्निकोण में 200 कदम दूर श्री राम का जन्मस्थान है.
जिलानी- ने नक्शा बताते हुए कहा कि जन्मस्थान और सीता कूप के उत्तर दक्षिण के भी ज़िक्र है। लेकिन जन्मस्थान मन्दिर तो ये चबूतरे को मान रहे थे। फिर हिंदुओ ने अपना विश्वास बदल दिया और दोनों जगहों पर दावा करने लगे.
जिलानी- एक गवाह ने भी बताया कि कवितावली और अन्य ग्रन्थों में भी रामजन्म अयोध्या या अवधपुरी या साकेत का जिक्र है पर विशिष्ट जन्मस्थान का नहीं.
गवाह भी वशिष्ठ कुंड, लोमश कुंड , विध्नेश्वर गणेश और पिण्डारक से विवादित स्थल की दूरी और दिशा के बारे में कुछ नहीं बता पाए.
वाल्मीकि रामायण में भी कोई विशिष्ट स्थान नहीं बताया गया.
रामचरित मानस की रचना मस्जिद बनने के करीब 70 साल बाद हुई लेकिन कहीं ये ज़िक्र नहीं कि राम जन्मस्थान वहां है जहां मस्जिद है. यानी जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की आस्था भी बाद में बदल गई.
जस्टिस बोबड़े- बाबर ने मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई या पहले कभी मन्दिर था उस जगह मस्जिद बनाई या खाली जगह पर मस्जिद बनी?
इस सवाल पर जिलानी बोले- बाबर ने खाली प्लाट पर मस्जिद बनाई थी. अगर पहले मन्दिर रहा होगा तो बाबर को इसकी जानकारी ना हो.
जस्टिस बोबड़े ने पूछा कितनी मस्जिदों को मीर बाकी ने बनवाया.
जिलानी ने कहा आइने अकबरी के मुताबिक इलाके सूबों में बंटे होते थे और मस्जिदों का निर्माण सूबेदार कराते थे.
जिलानी ने कहा कि आईने अकबरी में पूरे साम्राज्य को स्थापित करने का ब्यौरा है. यही एक ऐसी किताब है जिसमें मुगल शासनकाल के दौरान हरेक बारीकी का जिक्र है.
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर आईने अकबरी में सभी का ब्यौरा है बाबरी मस्जिद का जिक्र क्यों नहीं है?
जिलानी- आइन ए अकबरी में भी रामजन्मभूमि का नहीं लेकिन पवित्र शहर अवध का ज़िक्र है जहां हिन्दू राम की पूजा करते हैं.
जस्टिस भूषण ने जिलानी को टोका कि स्कन्दपुराण का हवाला तो आपके गवाह ने भी दिया है जिसमे उसने राम जन्मस्थान की बात कही है.
जिलानी- स्कन्दपुराण तो 18 वीं सदी में पब्लिश हुआ था.
जस्टिस भूषण- बात पब्लिश की नहीं पुराण के लेखन की बात करें. आपके गवाह ने ही 6 ठी सदी में लिखे जाने की बात कहते हुए कहा था कि शायद ये उससे भी पहले अस्तित्व में आया होगा.
जस्टिस चंद्रचूड़- आपकी दलील जन्मस्थान के ज़िक्र नहीं होने से है?
जिलानी- हां वहां मस्जिद को बाबरी कहा जाए या नहीं यसर ज़्यादा ज़रूरी है कि उस ढांचे में हिन्दू पूजा नहीं करते थे.
जिलानी- मस्जिद जहां बनी वहां मन्दिर नहीं था. मन्दिर सरयू के किनारे था. उनका भी कहना है कि जन्मस्थान मन्दिर रामकोट यानी किले में था.
जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप मानते है कि राम चबूतरा जन्म स्थान है?
जफरयाब जिलानी ने कहा कोर्ट का आदेश है इस मामले में, जिसमें कोर्ट ने माना था कि राम चबूतरा जन्मस्थान है हिन्दू लोगों की मान्यता है।हम उससे अलग कैसे जा सकते है.
अयोध्या राम जमभूमि मामले में सुनवाई 31 वीं दिन भी सुनवाई जारी रहेगी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से जफरयाब जिलानी पक्ष रखेंगे. उसके बाद पुरातात्विक साक्ष्य पर मीनाक्षी अरोड़ा पक्ष रखेगी.