Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 30वें दिन की सुनवाई, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा- गर्भ गृह के भीतर कभी नहीं हुई पूजा

Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 30वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कुछ पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन प्रधानमंत्री का नाम लिया था. इसका मतलब ये नही कि वो इस मामले में कोई राजनीति बहस/ टिप्पणी कर रहे थे. वो लोग संवैधानिकता को लेकर कह रहे थे. राजीव धवन ने चिदम्बरम मंदिर से संबंधित केस का जिक्र किया. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

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Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 30वें दिन की सुनवाई, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा- गर्भ गृह के भीतर कभी नहीं हुई पूजा

Aanchal Pandey

  • September 24, 2019 3:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates:  अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 30वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कुछ पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन प्रधानमंत्री का नाम लिया था. इसका मतलब ये नही कि वो इस मामले में कोई राजनीति बहस/ टिप्पणी कर रहे थे. वो लोग संवैधानिकता को लेकर कह रहे थे. राजीव धवन ने चिदम्बरम मंदिर से संबंधित केस का जिक्र किया. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.

राजीव धवन नटराज मंदिर, पक्षी मंदिर, पाताल मंदिर, मेल फीमेल टेम्पल, कामाख्या मंदिर का जिक्र किया, इसके जरिये उन्होंने भगवान शिव और सती की घटना बताई.

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि इसी क्रम में एक मंदिर/शक्ति पीठ पाकिस्तान में भी है?

राजीव धवन ने कहा कि चिदम्बरम मंदिर चोल शासन के समय बनाई गई थी.

कई लोग विश्वास करते है ये काफी नही है, लोग रेलिंग के पास आते थे और फूल चढ़ाते थे ये पर्याप्त है?

अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने पूरी की.

राजीव धवन ने कहा कि गर्भ गृह के भीतर कभी पूजा नही हुई.

गलत तरीके से रखी गई मूर्ति दावे के अधिकार नही हो सकती.

अब लंच के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से जफरयाब जिलानी बहस करेंगे.

जिलानी की दलील जन्मस्थल पर रामजन्म का विश्वास तो है पर सबूत नहीं.

दलीले तीन आधार पर रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण.

ये तो याचिकाकर्ताओं को साबित करना है कि और कौन कौन सी किताबों में ज़िक्र है.

मानस और रामायण में कहीं विशिष्ट तौर पर राम जन्मस्थान का कोई जिक्र नहीं.

कोई सबूत नहीं कि 1949 से पहले मध्य गुंबद के नीचे रामजन्म, पूजा का कोई अस्तित्व या सबूत नहीं मिलता.

बोबड़े- आप ये सबूत भी देंगे कि 1949 से पहले वहां नियमित नमाज़ होती थी?

जिलानी- इसके लिखित नहीं ज़बानी सबूत हैं.

अशोक भूषण- हिन्दू पक्ष भी रामायण और मानस में अयोध्या में दशरथ महल में राम जन्म का ज़िक्र है लेकिन स्थान का नहीं.

चंद्रचूड़- दोनों ग्रन्थों में अयोध्या में रामजन्म का ज़िक्र है इसका मतलब क्या ये है कि अयोध्या में कहीं भी राम जन्मभूमि का दावा कर दें.

जिलानी- रामचबूतरा मन्दिर से पुराना नहीं है.

जिलानी- 1886 के फैसले में भी ये ही कहा गया कि चबूतरा ही जन्मस्थान है. पर बाद में हिन्दू जन्मस्थान मन्दिर बताते हुए आंतरिक अहाते और गुंबद वाली इमारत पर दावा करने लगे.

बोबड़े ने पूछा- आप मानते हैं कि इस फैसले को किसी ने चुनौती नहीं दी?

जिलानी- हमने तो चुनौती नहीं दी. पर बाद में बहुत सी रिट दाखिल हुईं. पर वे इसे चुनौती देते हुए नहीं बल्कि अधिकार को लेकर थीं.

जिलानी- हिन्दू 1886 के फैसले में पूजा का अधिकार मिलने के बाद हिन्दू वहां चबूतरे पर ही मन्दिर बनाना चाहते थे. पर तब की जिला कोर्ट ने इसकी इजाज़त नहीं दी थी.

गवाह सत्यनारायण त्रिपाठी के बयान के हवाले से जिलानी बोले- मानस में भी सिर्फ अयोध्या का ज़िक्र है राम जन्मस्थान का नहीं.

एक गवाह ने दशरथ के महल में रामजन्म होने का ज़िक्र है पर महल की स्थिति का पता नहीं.

जस्टिस चंद्रचूड़- गवाहों ने शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा है कि- सीताकूप के अग्निकोण में 200 कदम दूर श्री राम का जन्मस्थान है.

जिलानी- ने नक्शा बताते हुए कहा कि जन्मस्थान और सीता कूप के उत्तर दक्षिण के भी ज़िक्र है. लेकिन जन्मस्थान मन्दिर तो ये चबूतरे को मान रहे थे. फिर हिंदुओ ने अपना विश्वास बदल दिया और दोनों जगहों पर दावा करने लगे.

जिलानी- एक गवाह ने भी बताया कि कवितावली और अन्य ग्रन्थों में भी रामजन्म अयोध्या या अवधपुरी या साकेत का जिक्र है पर विशिष्ट जन्मस्थान का नहीं.

गवाह भी वशिष्ठ कुंड, लोमश कुंड , विध्नेश्वर गणेश और पिण्डारक से विवादित स्थल की दूरी और दिशा के बारे में कुछ नहीं बता पाए. वाल्मीकि रामायण में भी कोई विशिष्ट स्थान नहीं बताया गया.

रामचरित मानस की रचना मस्जिद बनने के करीब 70 साल बाद हुई लेकिन कहीं ये ज़िक्र नहीं कि राम जन्मस्थान वहां है जहां मस्जिद है. यानी जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की आस्था भी बाद में बदल गई.

जस्टिस बोबड़े- बाबर ने मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई या पहले कभी मन्दिर था उस जगह मस्जिद बनाई या खाली जगह पर मस्जिद बंसी?

इस सवाल पर जिलानी बोले- बाबर ने खाली प्लाट पर मस्जिद बनाई थी. अगर पहले मन्दिर रहा होगा तो बाबर को इसकी जानकारी ना हो.

जस्टिस बोबड़े ने पूछा कितनी मस्जिदों को मीर बाकी ने बनवाया.

जिलानी ने कहा आइने अकबरी के मुताबिक इलाके सूबों में बंटे होते थे और मस्जिदों का निर्माण सूबेदार कराते थे.

जिलानी ने कहा कि आईने अकबरी में पूरे साम्राज्य को स्थापित करने का ब्यौरा है. यही एक ऐसी किताब है जिसमें मुगल शासनकाल के दौरान हरेक बारीकी का जिक्र है.

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर आईने अकबरी में सभी का ब्यौरा है बाबरी मस्जिद का जिक्र क्यों नहीं है?

जिलानी- आइन ए अकबरी में भी रामजन्मभूमि का नहीं लेकिन पवित्र शहर अवध का ज़िक्र है जहां हिन्दू राम की पूजा करते हैं.

जस्टिस भूषण ने जिलानी को टोका कि स्कन्दपुराण का हवाला तो आपके गवाह ने भी दिया है जिसमे उसने राम जन्मस्थान की बात कही है.

जिलानी- स्कन्दपुराण तो 18 वीं सदी में पब्लिश हुआ था.

जस्टिस भूषण- बात पब्लिश की नहीं पुराण के लेखन की बात करें. आपके गवाह ने ही 6 ठी सदी में लिखे जाने की बात कहते हुए कहा था कि शायद ये उससे भी पहले अस्तित्व में आया होगा.

जस्टिस चंद्रचूड़- आपकी दलील जन्मस्थान के ज़िक्र नहीं होने से है?

जिलानी- हां वहां मस्जिद को बाबरी कहा जाए या नहीं यसर ज़्यादा ज़रूरी है कि उस ढांचे में हिन्दू पूजा नहीं करते थे.

जिलानी- मस्जिद जहां बनी वहां मन्दिर नहीं था। मन्दिर सरयू के किनारे था. उनका भी कहना है कि जन्मस्थान मन्दिर रामकोट यानी किले में था.

जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप मानते है कि राम चबूतरा जन्म स्थान है?

जफरयाब जिलानी ने कहा कोर्ट का आदेश है इस मामले में, जिसमें कोर्ट ने माना था कि राम चबूतरा जन्मस्थान है हिन्दू लोगों की मान्यता है।हम उससे अलग कैसे जा सकते है.

अयोध्या राम जमभूमि मामले में सुनवाई 31 वीं दिन भी सुनवाई जारी रहेगी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से जफरयाब जिलानी पक्ष रखेंगे. उसके बाद पुरातात्विक साक्ष्य पर मीनाक्षी अरोड़ा पक्ष रखेगी.

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