Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 27 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 27वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई

Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 27 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 27वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने पीठ के सामने कहा कि 1949 के मुकदमे के बाद सभी गवाह सामने आए, लोग रैलिंग तक क्यों जाते थे इस बारे में किसी को नही पता. एक गवाह ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम दोनों वहां पर पूजा करते थे, मैंने किसी किताब में यह नही पढ़ा कि वह कब से एक साथ पूजा कर रहे थे, दोनों वहां पर औरंगजेब के समय से जाते थे. राजीव धवन ने एक हिंदुपक्ष के गवाह की गवाही के बारे में बताते हुए कहा कि गर्भगृह में 1939 में वहां पर मूर्ति नही थी वह पर बस एक फोटो थी. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

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Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 27 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 27वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई

Aanchal Pandey

  • September 19, 2019 4:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 27 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 27वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने पीठ के सामने कहा कि 1949 के मुकदमे के बाद सभी गवाह सामने आए, लोग रैलिंग तक क्यों जाते थे इस बारे में किसी को नही पता. एक गवाह ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम दोनों वहां पर पूजा करते थे, मैंने किसी किताब में यह नही पढ़ा कि वह कब से एक साथ पूजा कर रहे थे, दोनों वहां पर औरंगजेब के समय से जाते थे. राजीव धवन ने एक हिंदुपक्ष के गवाह की गवाही के बारे में बताते हुए कहा कि गर्भगृह में 1939 में वहां पर मूर्ति नही थी वह पर बस एक फोटो थी. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.

राजीव धवन ने कहा कि मध्य गुम्बद की कहानी 19 वें दशक से शुरू होती है, अगर वहां मन्दिर था तो वह किस तरह का मंदिर था, क्या वह स्वंयम्भू था या फिर क्लासिक मन्दिर था.

धवन ने कहा कि इसका कोई सबूत नहीं है कि लोग रेलिंग के पास जाते थे और गुम्बद की पूजा करते थे, हिन्दू केवल बाहरी हिस्से में चबूतरे पर आकर पूजा करते थे.

राजीव धवन ने कहा कि किसी ऐसे गवाह का एक अनुमान जिसे ढंग से कुछ याद नहीं उस पर विश्वास नहीं करना चहिये। ये कोई सबूत नहीं है.

राजीव धवन ने कहा कि जन्मस्थान और जन्मभूमि शब्द का इस्तेमाल एक ही मतलब के लिए किया जाता है.

राजीव धवन ने कहा कि जन्मभूमि 1980 के बाद की घटना है, 1980 के बाद जन्मभूमि शब्द का इस्तेमाल किया गया. धवन ने कहा कि हिंदुओं ने कहीं ऐसा दावा नहीं किया कि बाहरी हिस्से में पूजा अंदरूनी हिस्से के मद्देनज़र की जाती थी, और ऐसा लगता है यह बात बाद में आई, गवाहों के बयानों में भी रेलिंग पर पूजा करने को लेकर कई विरोधाभास हैं.

धवन ने जिरह के दौरान जोसेफ तेफेन्थेलर का ज़िक्र किया,धवन ने रामचबूतरे की स्तिथि का ज़िक्र करते हुए एक तस्वीर का ज़िक्र करते हुए कहा कि वही पहले जन्मस्थान था, कहते हैं कि दीवार इतनी ऊची नही थी. दरवाज़े से बाएं मुड़ते ही आप चबूतरे के पास पहुंच सकते थे.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि इसकी उचाई 6 से 8 फीट हो सकता है मनुष्य की औसत ऊंचाई लगभग 5.5 फीट है। लेकिन दीवार इसके ऊपर 2 फीट प्रतीत होती है.

धवन ने कहा कि दीवार कूदने के लिए हमको ओलंपिक के जिमनास्ट होने की ज़रूरत नही है.

जस्टिस भूषण ने कहा कि अंदर प्रवेश करने के किये दीवार कूदने की ज़रूरत नही है वहा दरवाज़ा है.

जस्टिस DY चन्द्रचूड़ ने कहा कि दरवाज़े को हनुमान द्वार कहते है.

धवन ने कहा कि गर्भगृह में 1939 में वहां पर मूर्ति नही थी वह पर बस एक फोटो थी। मूर्ति और गर्भगृह की पूजा का कोई सबूत नहीं है.

जस्टिस भूषण ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि हिंदुओं ने गर्भगृह की पूजा की इसका सबूत नहीं है, राम सूरत तिवारी नामक गवाह ने 1935 से 2002 तक वहां पूजा करने की बात कही है, आप सबूतों को तोड़ मरोड़ के पेश कर रहे हैं,कोई भी सबूतों को तोड़ मरोड़ नहीं सकता.

धवन ने कहा कि मैं सबूतों को तोड़ मरोड़ नहीं रहा हूँ.

राजीव धवन ने कहा कि 1989 में जब न्यास का मूमेंट शुरू हुआ उस समय वहा पर मिस मनेजमेंज की वजह रिसीवर को बातए गई, लेकिन इस पूरे केस में मिस मनेजमेंज का कोई भी सबूत नही है.

राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़ा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने पहले राम जन्मस्थान पर दावा नही किया, निर्मोही अखाड़ा ने आंदोलन का हिस्सा रहा और 1934 में हमला कराया, अखाड़ा ने 1959 से पहले कभी अंदरूनी भाग पर अधिकार की बात नही.

जब धवन ने कई गवाहों के बयान का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुख्य गुंबद के नीचे कभी पूजा नहीं हुई तो जस्टिस भूषण ने कहा कि ऐसे कई बयान और संकेत हैं जिनसे ये पता चलता है कि आंतरिक अहाते में मुख्य गुंबद के नीचे ही उन्होंने पूजा की थी.

जबकि मुस्लिम पक्ष लगातार दावा कर रहा है कि कभी मुख्य गुम्बद के नीचे पूजा हुई ही नहीं. पूजा तो बाहरी अहाते में राम चबूतरे, सीता रसोई और भंडारा पर ही होती थी.

कोर्ट ने मंगलवार को भी कहा था कि चबूतरे के आसपास पूजा, और गर्भगृह या मुख्य गुम्बद के नीचे की जगह पर रेलिंग से दो भाग करना इस मामले में काफी अहम है. इसके बारे में दलील दी जाएं। यानी हिन्दू मानते रहे हैं कि मुख्य गुम्बद के नीचे ही रामलला का जन्म हुआ था.

कोर्ट ने धवन से कहा कि वो सिद्ध करें कि हिंदुओं ने कभी आंतरिक अहाते में यानी मुख्य गुम्बद के नीचे कभी पूजा नहीं की.

धवन ने जस्टिस भूषण से कहा कि वो तो क्रोधित और आक्रामक हो रहे हैं जबकि वो तो गवाहों के बयान ही पढ़ रहे हैं.

लेकिन इस पर रामलला के वकील ने आपत्ति की तो धवन ने माफी भी मांग ली.

रामचबूतरा ही राम का जन्मस्थान था ना कि गुम्बद.1855 में हिन्दू मुसलमानों के बीच दंगे फसाद होने के बाद अंग्रेजों ने विवादित ढांचे में रेलिंग बना दी थी. इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि हिन्दू गुम्बद के नीचे ही पूजा करते थे.

इन्हीं दलीलों के साथ धवन ने कोर्ट में दिए गए रामसूरत तिवारी के बयान को ढुलमुल बताते हुए कहा कि 1995 में तिवारी ने 1935 में की गई अपनी पहली रामजन्मभूमि यात्रा के बारे में बताते हुए गर्भगृह में रामलला की तस्वीर और मूर्ति के दर्शन करने की बात कही थी. लेकिन क्रॉस एक्जाम में वो ये नहीं बता पाए कि वो किस दरवाजे से अंदर घुसे थे? यानी उनका बयान तथ्य पर आधारित नहीं है.

जस्टिस भूषण- हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तिवारी के बयान पर भरोसा किया है तो आपके उस पर भरोसा नहीं करने का क्या तर्क है?

धवन- मैं तो सिर्फ बयान के हवाले से बता रहा हूँ आप तो काफी आक्रामक हो गए?

इस पर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि 1855 में हिन्दू मुस्लिम तनाव धवन का ये बर्ताव दुर्भाग्यपूर्ण है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने फिर धवन को जस्टिस भूषण के सवाल का जवाब देने को कहा.

इसके बाद धवन ने अपने अंदाज और जवाब पर सफाई देते हुए माफी मांग ली.

अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 28 वें दिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस जारी रहेगी.

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