Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 24 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 24वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 24 Written Updates:अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 24वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने संविधान पीठ के समक्ष फिर एक पत्र मुद्दा उठाया. राजीव धवन ने कहा कि सोशल मीडिया में एक व्यक्ति ये कह रहे है कि उन्होंने एक पत्र लिखा है CJI को जिसमें उन्हींने कहा है कि कोर्ट को ये मामला नही सुनना चहिये. CJI ने कहा कि हमें इस मामले में कोई जानकारी नही. जिसके बाद मुख्य मामले की सुनवाई शुरू हुई. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
September 16, 2019 6:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 24 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 24वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने संविधान पीठ के समक्ष फिर एक पत्र मुद्दा उठाया. राजीव धवन ने कहा कि सोशल मीडिया में एक व्यक्ति ये कह रहे है कि उन्होंने एक पत्र लिखा है CJI को जिसमें उन्हींने कहा है कि कोर्ट को ये मामला नही सुनना चहिये. CJI ने कहा कि हमें इस मामले में कोई जानकारी नही. जिसके बाद मुख्य मामले की सुनवाई शुरू हुई. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े के जवाब के हवाले से फिर सवाल उठाया कि क्या जन्मस्थान की रामलला से अलग मान्यता sanctity या स्थान है?
मन्दिर के प्रबंधन को लेकर तो निर्मोही अखाड़े ने पहले ही याचिका दायर कर रखी है.
निर्मोही अखाड़े के जवाब के मुताबिक तो उनकी दिलचस्पी मन्दिर बनाने में है ना कि जन्मस्थान पर रामलला की सेवा करने में.
स्थान जन्मभूमि मन्दिर तो अयोध्या के रामकोट मोहल्ले में था जबकि जन्मस्थान का मतलब तो पूरी अयोध्या ही हो गया.
हिन्दू पक्ष का दावा कि 22-23 दिसंबर 1949 के बाद वहां नमाज ही नहीं हुई ये सरासर आधारहीन है.
रामायण के की वर्जन हैं और सबकी कथा और तथ्य अलग अलग हैं.
पीएन मिश्र की यात्रियों और इतिहासकारों के यात्रा वृतांत की जन्मस्थान वाली दलील पर धवन ने कहा कि वहां किसी देवमूर्ति का ज़िक्र किसी ने नहीं किया है.
सिर्फ भूमि का ज़िक्र है। रघुबरदास ने भी रामचबूतरा का ही जिक्र किया और दावा भी इसी का है.
केदारनाथ और गया की विष्णु पद शिला के साथ भी इस स्थान की तुलना सही नही है.
ये मस्जिद थी जो बाबर के काल मे बनाई गई थी.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आपकी नजर में डेटी क्या है.
राजीव धवन ने कहा कि जब देवता अपने-आपको प्रकट करते है तो किसी विशिष्ट रूप में प्रकट होते है और उसकी पवित्रता होती है.
जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या आप कह रहे हैं कि एक देवता का एक आकार होना चाहिए?
राजीव धवन ने कहा कि हाँ, देवता का एक आकार होना चाहिए जिसको भी देवता माना जाए,उसका आकार होता है.
धवन ने कहा देवता का मतलब ये है कि या तो मूर्ति में होगा या किसी रुप में प्रकट होगा.
जस्टिस बोबड़े ने पूछा देवता निराकार नही हो सकता ?
राजीव धवन ने कहा ईश्वर निराकार हो सकता है लेकिन देवता का एक रूप होना चाहिए. हिन्दू लोग मूर्ति की पूजा करते हैं तो वो एक आकार को मानते हैं और उसकी प्राण प्रतिष्ठा होती है.
राजीव धवन ने कहा देवता सृजित हो जैसे मूर्ति और पवित्र भी किया गया होना चाहिए. ईश्वर निराकार हो सकता है लेकिन देवता (डेटी) साकार होगा.
रामजन्भूभि न्यास पर धवन ने आरोप लगाया कि वो न्यास पूरा मंदिर पर कब्जा चाहता है और नया मंदिर बनाने की बात कह रहे है. न्यास में ज्यादातर विश्वहिन्दू परिषद के लोग है.
राजीव धवन ने कहा कि हिन्दुओं का दावा सिर्फ विश्वास पर आधारित है,हिन्दू पक्ष विश्वास के आधार पर दावा कर रहे हैं.
राजीव धवन ने कहा मूर्ति की पूजा की हमेशा बाहर के चबूतरे पर होती थी 1949 में मंदिर के अंदर शिफ्ट किया जिसके बाद यह पूरी ज़मीन पर कब्ज़े की बात करने लगे.
राजीव धवन ने कहा कि 1949 तक विवादित ढांचे के बाहरी आंगन में पूजा की जाती थी, मूर्ति अंदरूनी हिस्से पर किसी भी तरह का दावा नही किया गया था, बाहरी हिस्सा VHP द्वारा ज़बर्दस्ती कब्ज़े में लिया गया था.
धवन ने कहा कि अगर 1885 से भी प्रारंभिक अधिकार मांग को माना को देंखे तो उन्होंने बाहरी आंगन की मांग की है क्यों मूर्ति बाहरी आंगन में रखी हुई थे.
राजीव धवन ने जन्मस्थान की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जन्मस्थान न्यायिक ब्यक्ति नही हो सकता, ये याचिका जानबूझकर लगाई गयी है ताकि इसपर लॉ ऑफ लिमिटेशन और एडवर्स पोजीशन का सिद्धांत लागू नहीं हो सके.
स्थान ज्यूरिस्टिक परसन नही है, स्थान को ज्यूरिस्ट परसन इसलिये बनाया गया कि इनके उपर न तो लिमिटेशन लागू हो ना ही एडवर्स पोजीशन, जमीन से हक छीना नही जाबसकता तो फिर न तो बाबर आया और किसी को अधिकार नही मिल सकता.
डेटी की तरफ से नेक्स्ट फ्रेड को पार्टी बनने का हक नही अगर सैबियत है तो फिर मुकदमा क्यों चलेगा.
जस्टिस बोबडे ने पूछा 1 और 2 याचिकाकर्ता की लीगल हैसियत क्या है.
राजीव धवन ने कहा अगर राम जन्मभूमि एरिया कौ डेटी बना दिया जाएगा तो पूरा एरिया अपने आप में अधिकार सम्पन्न हो जाएगा उसपर न कोई ओनरशिप क्लेम कर सकता है न तो टाइटल शिप अगर बाबर आया तो उसका टायटल नही ले सकता नही औरंगजेब.
जमीन ज्यूरिस्टिक पर्सन नही हो सकती.
रामलला की दलील है कि ये सदियों से है तो फिर एविडेस एक्ट की धारा 110 लागू नही हो सकती.
पूरी अपील रामलला की उसमे मूर्ति और जन्मभूमि को लो अलग अलग कानूनी हस्तियां बनाई गयी है जन्मभूमि को पक्षकार बनाने का मतलब यही है कि बाकी पार्टियां बाहर हो जाएं और इनका ( रामलला विराजमान) अधिकार हो जाए.
सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से राजीव धवन 25 वें दिन भी पक्ष रखेंगे. मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रहेगी.