Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 23 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 23वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, सोमवार को होगी अगली सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 23 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 23वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने वरिष्ठ वकील जाफरयाब जिलानी ने बहस की शुरुआत की. वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा 1885 में निर्मोही अखाड़ा ने जब कोर्ट में याचिका दायर की थी तो उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात कही थी. यह हिस्सा अब विवादित जमीन का भीतरी आंगन के नाम से जाना जाता है.निर्मोही अखाड़ा ने 1942 के अपने मुकदमे में भी मस्जिद का जिक्र किया है. जिसमे उन्होंने तीन गुम्बद वाले ढांचे को मस्जिद स्वीकार किया था. ता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
September 13, 2019 8:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 23 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 23वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने वरिष्ठ वकील जाफरयाब जिलानी ने बहस की शुरुआत की. वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा 1885 में निर्मोही अखाड़ा ने जब कोर्ट में याचिका दायर की थी तो उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात कही थी. यह हिस्सा अब विवादित जमीन का भीतरी आंगन के नाम से जाना जाता है.निर्मोही अखाड़ा ने 1942 के अपने मुकदमे में भी मस्जिद का जिक्र किया है. जिसमे उन्होंने तीन गुम्बद वाले ढांचे को मस्जिद स्वीकार किया था. ता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
जफरयाब जिलानी दस्तावेजों के जरिए यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि 1934 से 1949 के बीच बाबरी मसजिद में नियमित नमाज़ होती थी.
जफरयाब जिलानी ने कहा कि रोज़ की नामज़ के लिए ज़्यादा लोग नही आते थे लेकिन जुमे की नामज़ में भीड़ होती थी.
जिलानी ने कहा कि जिन दस्तावेज़ों को निर्मोही अखड़ा द्वारा इस्तेमाल किया गया है उसके बाद भी यह कैसे कह सकते है वहा पर नामाज़ नही पढ़ी जाती थी.
जिलानी ने मोहम्मद हाशिम के बयान का हवाला देते हुए कहा कि हाशिम ने आने बयान में कहा था कि उन्होंने 22 दिसबंर 1949 को बाबरी मस्जिद में नामाज़ पढ़ी थी.
ज़फरयाब जिलानी ने हाजी मेहबूब के बयान का हवाला देते हुए कहा 22 नवंबर 1949 को हाजी मेहबूब ने बाबरी मस्जिद में नामज़ अदा की थी.
जिलानी ने एक गवाह के बारे में बताते हुए कहा कि 1954 में बाबरी मस्जिद में नामाज़ पढ़ने की कोशिश करने पर उस व्यक्ति को जेल हो गई थी.
जफरयाब जिलानी ने बाबरी मस्जिद में 1945 -46 में तरावीह की नामज़ पढ़ाने वाले हाफ़िज़ के बयान का ज़िक्र किया. जिलानी ने एक गवाह का बयान पढ़ते हुए कहा कि उसने 1939 में मगरिब की नमाज़ बाबरी मस्जिद में पढ़ी थी.
जफरयाब जिलानी मुस्लिम पक्ष के गवाहों के बयान पर यह साबित करने की कोशिश कर रहे है की 1934 के बाद भी विवादित स्थल पर नामज़ पढ़ी गई.
हिन्दू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान यह दलील दी गई कि 1934 के बाद विवादित स्थल पर नामज़ नही पढ़ी गई थी..
लंच के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुवात की. राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने सिर्फ प्रभार और प्रबंधन के लिए, अंदर के अहाते के अधिकार के लिए याचिका दाखिल की.
धवन ने कहा कि पहले हिन्दू बाहर के अहाते में पूजा करते थे लेकिन 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति को गतल तरीके से मस्जिद के अंदर शिफ्ट किया गया.
राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखड़ा का कहना है वह शेबेट है और मेमेजन्मेंट के अधिकार से वंचित है अगर कोई नया मन्दिर बन जाता है तो निर्मोही अखाड़ा उसका शेबेट रहेगा.
धवन ने कहा कि 1885 में महंत रघुबर दास के मुकदमे को पहले निर्मोही अखाड़े ने नकार दिया था लेकिन बाद में निर्मोही अखड़ा का महंत मान लिया था, पहले निर्मोही अखाड़ा ने जन्मस्थान शब्द को नकार दिया था लेकिन बाद में इसको ज्यूडिशियल इंट्री में माना.
राजीव धवन ने स्थान को ज्यूरिस्टिक पर्सन कहे जाने की दलील पर उठाए सवाल कहा हिन्दू पक्ष ने तर्क दिया है कि नदियों, पहाड़ों, कुओं के लिए प्रार्थना की जाती है, मेरा तर्क है कि ये एक वैदिक अभ्यास है.
जहां तक वेदों का सवाल है, वे इसे पूजते हैं लेकिन इस रूप में नहीं. आप सूर्य से प्रार्थना करते हैं, लेकिन इसे अपना अधिकार क्षेत्र नहीं कहते.
धवन ने कहा कि स्वयंभू का कांसेप्ट ये होता है कि ईश्वर खुद को परिलक्षित करता है, जैसे कोई पर्वत या मानसरोवर, इससे ये साबित नही होता कि इसतरह के स्वयंभू ईश्वर स्वरूपों का ज्यूरिस्टिक पर्सनालिटी ही हो.
अयोध्या रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन पक्ष रखेगे.