Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 20 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 20वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, अगले बुधवार को होगी सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 20 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष आज 20 वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहे हैं. मैं कह सकता हूं कि निर्मोही अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन थे और वह वहां रहे हैं. धवन ने कहा कि राम चबूतरा बाहरी आँगन में है जिसे राम जन्म स्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है। इसके अलावा धवन ने निर्मोही अखाड़ के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को विवादित ढांचे में रखा गया था। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
September 5, 2019 5:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 20 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष आज 20 वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहे हैं. मैं कह सकता हूं कि निर्मोही अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन थे और वह वहां रहे हैं. धवन ने कहा कि राम चबूतरा बाहरी आँगन में है जिसे राम जन्म स्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है। इसके अलावा धवन ने निर्मोही अखाड़ा के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को विवादित ढांचे में रखा गया था। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
राजीव धवन ने के. के. नायर और गुरु दत्त सिंह,डीएम और सिटी मैजिस्ट्रेट की 1949 की तस्वीरों को कोर्ट को दिखाया.
राजीव धवन ने राजा राम पांडे और सत्य नारायण त्रिपाठी के बयान में विरोधभास के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताया.
धवन ने कहा कि ऐसा लगता है कि कई गवाहों के बयान को प्रभावित किया गया.
एक गवाह के बारे के बताते हुए धवन ने कहा कि उसने 14 साल की उम्र में RSS जॉइन किया था, बाद में RSS और VHP ने उसको सम्मानित भी किया.
धवन ने एक गवाह के बारे में बताते हुए कहा कि गवाह ने 200 से अधिक मामलों में गवाही दी है और विश्वास करता है कि एक झूठ बोले में कोई नुकसान नही है.
राजीव धवन ने अपनी दलील में कहा कि मंदिर की ज़मीन ज़बरदस्ती छीनी गई है.
जस्टिस DY चंद्रचूड ने कहा कि इन विरोधाभासों के बावजूद भी आप यह मान रहे है उन्होंने (निर्मोही अखाड़ा) अपनी शेवियत के अधिकार स्थापित कर लिया हैं.
राजीव धवन ने कहा कि मैं उनको झूठा नही कह रहा हूं लेकिन मैं यह समझना चाह रहा हूं कि वह खुद को शेबियत तो बता है लेकिन उनको नही मालूम की कब से शेबेट है.
जस्टिस DY चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर आप निर्मोही अखाड़ा के अस्तित्व को मान रहे है तो उनके संपूर्ण साक्ष्य को स्वीकार किया जाएगा.
राजीव धवन ने कहा कि कुछ कहते हैं कि 700 साल पहले कुछ उससे भी पहले का मानते हैं। मैं निर्मोही अखाड़ा की उपस्थिति 1855 से मानता हूं, 1885 में महंत रघुबर दास ने मुकदमा दायर किया, हम 22 – 23 दिसंबर, 1949 के बयान पर बात कर रहे हैं.
मुस्लिम पक्षकारों की ओर। से राजीव धवन ने कहा कि Possesion शब्द कानून का शब्द है जबकि belonging शब्द term of art है यानी इसका कलात्मक इस्तेमाल हो सकता है जिसका अर्थ अलग अलग परिस्थितियों में अलग हो सकता है.
जस्टिस बोबडे ने पूछा कि possesion और belonging टर्म ऑफ आर्ट में कैसे है?
जस्टिस नज़ीर ने कहा कि belonging शब्द निर्मोही अखाड़े की याचिका में है जबकि इसका अलग अर्थ किसी भी क़ानून में नहीं है. आप इसपर क्यों बहस कर रहे है?
धवन ने कहा कि belonging का मतलब ‘कुछ और है’ ( something else) इस शब्द के कई अर्थ निकलते हैं.
जस्टिस DY चंद्रचूड़ ने कहा कि अखाड़ा तो शेबियट यानी सेवायत है और यह उनका अधिकार है.
धवन ने कहा कि हमको देखना होगा शेबियट के क्या अधिकार है! शेबियट के अधिकार सीमित हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मूर्ति कहाँ है. मूर्ति जहां जाती है शेबेट वहीं रहता है. वो सिर्फ सेवा उपासना करता है मालिक नहीं होता. उनका कहना है कि सेवा उनका अधिकार है.
जस्टिस DY चन्द्रचूड़ ने कहा कि वे (निर्मोही) शेबियट के अधिकार की दुहाई देकर प्रबंधन और संभाल का अधिकार मांग रहे है. प्रबंधन और प्रभार देवता के लिए है उनके सभी अधिकार देवता के लिए है.
धवन ने कहा कि ट्रस्टी और शेबियटशिप में फ़र्क़ होता है. वहां एक ट्रस्ट की अवधारणा है, लेकिन वह मालिक नहीं है.
धवन ने कहा कि मूर्ति को दूर नहीं ले जाया गय जगह स्थानांतरित कर दी गई।इसलिए वह कहते हैं कि पूजा करना चाहते है. मेरा अनुरोध है कि इसे शाब्दिक नहीं बल्कि पूरी याचिका के संदर्भ में देखा जाए.
अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में अब सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। सोमवार और मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट बंद है.