Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 17 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट हर रोजना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष आज 17वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से संविधान पीठ के सामने पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा मेरे मित्र वैद्यनाथन ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी यही। लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती। यहां इसे लेकर इतनी दलीलें दी गई लेकिन इन्हें सुनने के बाद भी मैं ये नहीं दिखा सकता कि परिक्रमा कहां है। इसलिए यह सबूत नहीं है। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 17 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट हर रोजना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष आज 17वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से संविधान पीठ के सामने पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा मेरे मित्र वैद्यनाथन ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी यही। लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती। यहां इसे लेकर इतनी दलीलें दी गई लेकिन इन्हें सुनने के बाद भी मैं ये नहीं दिखा सकता कि परिक्रमा कहां है। इसलिए यह सबूत नहीं है। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
राजीव धवन ने कहा मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया भूमि विवाद का निपटारा कानून के हिसाब से हो, न कि स्कन्द पुराण और वेद के जरिये। अयोध्या में लोगों की आस्था हो सकती है लेकिन ये सबूत नही।
मुस्लिम पक्षकार के वकील धवन ने कहा कि स्वयंभू का मतलब भगवान का प्रकट होना होता है। इसको किसी खास जगह से नही जोड़ा जा सकता है, हम स्वयंभू और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते।
धवन ने कहा कि उस मामले में इतिहास और इतिहासकारों पर भरोसा नही कर सकते।
जिसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपने भी तो इतिहास को सबूत रखे है? उसका क्या।
धवन ने पुराने मुकदमों और फैसलों के हवाले दिए।
देवता का सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं। सिर्फ सेवायत का ही होता है।
ब्रिटिश राज में प्रिवी काउंसिल के आदेश का हवाला देते हुए धवन ने अपनी बात रखी।
1950 में सूट1 दाखिल हुआ और निर्मोही अखाड़े ने 1959 में दावा किया।
घटना के 40 साल बाद इन्होंने दावा किया। ये कैसे सेवायत हैं?
श्रद्धालुओ/worshipers ने भी पूजा के अधिकार का दावा किया।
देवता के कानूनी व्यक्ति या पक्षकार होने पर धवन ने कहा कि देवता का कोई ज़रूरी/आवश्यक पक्षकार नहीं रहा है।
यहां तो देवता और सेवायत ही आमने सामने हैं।
देवता के लिए अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट में दावा नहीं किया जा सकता।
धवन ने दलील दी कि वैदिक काल मे मन्दिर बनाने और वहीं मूर्तिपूजा करने की कोई परम्परा ही नहीं थी।
कोई मन्दिर या स्थान ज्यूरिस्टक पर्सन यानी कानूनी व्यक्ति हो ही नहीं सकता। हाँ, देवता या मूर्ति कानूनी व्यक्ति यानी ज्यूरिस्टिक पर्सन तो हो सकते हैं पर मुकदमा नहीं लड़ सकते।
धवन ने कहा कि महाभारत तो इतिहास की कथा है लेकिन रामायण तो काव्य है। क्योंकि वाल्मीकि ने खुद इसे काव्य और कल्पना से लिखा है। रामायण तो राम और उनके भाइयों की कहानी है।
तुलसीदास ने भी मस्जिद के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है। जबकि उन्होंने राम के बारे में सबसे बाद में लिखा।
राजीव धवन की तरफ से मंगलवार को भी बहस जारी रहेगी।