Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 15 Written Updates: अयोध्या जमीन विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 15वें दिन की सुनवाई में राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने कहा- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि बाबर जमीन का मालिक नहीं

Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 15 Written Updates: अयोध्या जमीन विवाद मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में 15वें दिन की सुनवाई के दौरान राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने अपना पक्ष रखा. समिति के वकील पीएन मिश्रा ने शीर्ष अदालत में बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह माना था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर ने करवाया इसका कोई सबूत नहीं है. वहीं बाबर ही जमीन का मालिक है इसका भी कोई सबूत नहीं है.

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Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 15 Written Updates: अयोध्या जमीन विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 15वें दिन की सुनवाई में राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने कहा- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि बाबर जमीन का मालिक नहीं

Aanchal Pandey

  • August 29, 2019 6:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. अयोध्या रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 15वें दिन की सुनवाई के दौरान राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एस यू खान ने कहा था कि इस बाबत सबूत नहीं है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर ने किया था, लेकिन मैं ये अनुमान लगा सकता हूं कि ये मस्जिद बाबर ने बनाई थी.

इस पर शीर्ष अदालत के जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि जस्टिस अग्रवाल ने क्या कहा? पीएन मिश्रा ने कहा अनुमान है कि बाबर ने मस्जिद का निर्माण करवाया होगा. वकील मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने माना था मुस्लिम समुदाय के पास इस बाबत कोई सबूत नहीं मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी. साथ ही इस बारे में भी कोई सबूत नहीं है कि 1528 में मस्जिद का निर्माण किया गया.

वकील पीएन मिश्रा ने कहा कि हाई कोर्ट ने माना था कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था. बाबर के कहने पर मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण किया था.

इस दलील पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि इसका मतलब है कि हाई कोर्ट ने बहुमत से ये माना था कि इस बात के सबूत नहीं कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने कराया था? पी एन मिश्रा ने कहा हां, इस बात के सबूत नहीं है कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने कराया था.

जस्टिस बोबड़े ने पूछा इसका मतलब है कि बाबर जमीन का मालिक नहीं था? पी एन मिश्रा ने कहा, हाईकोर्ट ने बहुमत से माना था कि इस बात के सबूत नहीं है कि बाबर जमीन का मालिक था. बाबर का जमीन पर मालिकाना हक था या उसने मस्जिद का निर्माण कराया था, इस बारे में कोई सबूत नहीं है.

पीएम मिश्रा ने भी इस्लामिक विधि का हवाला देते हुए कहा कि किसी दूसरे मजहब के उपासना स्थल को कब्जा कर या ढहा कर इस्लामिक उपासना स्थल नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने इस्लामिक विद्वान मौलाना नदवी के फतवे का भी हवाला दिया गया. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक अगर किसी दूसरे धर्म का उपासना स्थल ढहा कर मस्जिद बना भी दी जाए तो भी वो मस्जिद नहीं होगी, बल्कि उसकी मान्यता मूल धर्म के उपासना स्थल की ही रहेगी.

शरई किताबों का हवाला देते हुए भी मिश्रा ने अपने दावे को मजबूत किया कि अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे धर्म को कमतर मत बताओ. लोगों को सही और गलत काम के बारे में बताओ. मस्जिद में संगीत के यंत्र घंटे आदि का कोई काम नहीं. ये चिह्न तो इस्लाम के मुताबिक मकरूह हैं. मस्जिद में हो ही नहीं सकते.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या कोई राजा किसी की संपत्ति को वक्फ कर सकता है? वकील पीएन मिश्रा ने ऐतिहासिक वाकये का हवाला देते हुए बादशाह और मुफ्ती के बीच हुई बातचीत का जिक्र किया. इसका सार था कि राजा जजिया वसूल सकता है पर किसी की जमीन छीनकर वक्फ नहीं कर सकता.

वकील मिश्रा ने इस्लाम के इतिहास में हजरत मोहम्मद और उनके अनुयायियों के बीच खैबर में खरीदी जमीन को लेकर हुई बातचीत का ब्यौरा दिया. यानी जमीन खरीद कर ही आप मकबरा या मस्जिद या धार्मिक इमारत बना सकते हैं. जबरन धमकाकर, छीनकर या कब्जा कर नहीं.

उन्होंने कहा कि कोई कितना भी बड़ा राजा या हुक्मरान हो इस्लाम के नियमों से अलग कुछ स्थापित नहीं कर सकता. कोई राजा कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, ये नहीं कह सकता कि हम चाहते हैं कि अब से हज हमारी सल्तनत में ही हो. ये नहीं हो सकता.

मस्जिद में पांचों वक्त के साथ शुक्रवार की सामूहिक नमाज और अजान हो तभी उसका मस्जिद के रूप में मान्यता रहती है. दो वक्त की नमाज का नागा हो गया तो मस्जिद की मान्यता नहीं होती. जजिया कर के जमाने में भी तीन-तीन दिन तक जजिया के रूप में मुस्लिम सिपाही या लोग मंदिरों में नमाज अदा करते थे लेकिन इससे कभी मस्जिद मंदिर नहीं बना. क्योंकि जजिया के रूप में वो जगह नमाज पढ़ने के लिए ली जाती थी. 1860 तक जजिया कर लागू रहा. इसके एवज में मुगल और मुस्लिम मंदिरों की इमारत में नमाज पढ़ते रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब मंदिरों की इमारत में नमाज हो सकती थी तो क्या मस्जिद की इमारत में पूजा नहीं हो सकती? मिश्रा ने कहा कि हिन्दू सदियों पहले से ही वहां पूजा करते रहे हैं, मुस्लिम तो बाद में जबरन वहां नमाज़ पढ़ने लगे.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद के निर्माण को लेकर बहस हुई. अब शुक्रवार को भी राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा बहस करेंगे.

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