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Ayodhya Case Supreme Court Verdict Highlights: संविधान पीठ को नहीं भेजा जाएगा मस्जिद में नमाज का मामला, 29 अक्टूबर से रोजाना अयोध्या जमीन विवाद पर सुनवाई

Ayodhya Case Supreme Court Verdict Highlights: क्या मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 1994 का फैसला बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने कहा कि मामले को पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है. वहीं जस्टिस अब्दुल नजीर साथी जजों से सहमत नजर नहीं आए. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के साथ राम जन्मभूमि औऱ बाबरी मस्जिद मामले में टाइटल सूट पर आखिरी फैसले का रास्ता साफ हो गया है.

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Ayodhya Case Supreme Court Verdict Highlights: संविधान पीठ को नहीं भेजा जाएगा मस्जिद में नमाज का मामला, 29 अक्टूबर से रोजाना अयोध्या जमीन विवाद पर सुनवाई
  • September 27, 2018 1:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि से जुड़े एक अहम मामले पर फैसला सुनाया. मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं, इस मामले को शीर्ष अदालत ने पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ को भेजने से इनकार कर दिया. इसी के साथ राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में विवादित भूमि पर मालिकाना हक के आखिरी फैसले का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में माना कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में जो आदेश दिया था, उसका अवलोकन करना चाहिए.

तीन जजों वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि मामले को संवैधानिक पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है जबकि जस्टिस अब्दुल नजीर का फैसला दोनों जजों से अलग रहा. उन्होंने कहा कि मामले को संवैधानिक पीठ को भेजा जाना चाहिए. जस्टिस नजीर ने कहा कि 1994 के इस्माइल फारूकी मामले पर फैसले का मौजूदा टाइटल विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर असर पड़ा. टाइटल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 29 अक्टूबर से रोजना सुनवाई करेगा. मुस्लिम पक्षकारों ने कहा था कि साल 1994 में इस्माइल फारूकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, इस फैसले का दोबारा परीक्षण होना चाहिए.

क्यों उठा था मामला: जब अयोध्या मामले की 5 दिसंबर 2017 को सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ एक भूमि विवाद है. लेकिन मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने कहा था कि मुस्लिमों को नमाज पढ़ने का हक और इसे बहाल किया जाना चाहिए. यह धर्म के तहत है और किसी को इससे वंचित नहीं किया जा सकता.

राजीव धवन ने कहा था कि 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इसी जजमेंट को आधार बनाकर फैसला दिया था. लेकिन नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग है और लिहाजा 1994 के संवैधानिक बेंच के फैसले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए.

यहां पढ़ें Ayodhya Case Supreme Court Verdict Highlights: 

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