Ayodhya Case Molding of Relief in Supreme Court: अयोध्या मामले पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए जवाब, रामलला विराजमान ने कहा- पूरी जमीन राम मंदिर के लिए दी जाए, मुस्लिम पक्ष की बाबरी मस्जिद बनाने की मांग

Ayodhya Case Molding of Relief in Supreme Court, Ram Mandir Babri Masjid Vivaad: अयोध्या जमीन विवाद मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सुप्रीम कोर्ट में अपने जवाब दाखिल कर लिए हैं. रामलला विराजमान ने अपने जवाब में पूरा क्षेत्र राम मंदिर के लिए देने की बात कही है. वहीं हिंदू महासभा और राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने की बात कही. वहीं मुस्लिम पक्ष ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया है. उन्होंने विवादित भूमि पर बाबरी मस्जिद बनाने की बात कही है.

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Ayodhya Case Molding of Relief in Supreme Court: अयोध्या मामले पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए जवाब, रामलला विराजमान ने कहा- पूरी जमीन राम मंदिर के लिए दी जाए, मुस्लिम पक्ष की बाबरी मस्जिद बनाने की मांग

Aanchal Pandey

  • October 19, 2019 1:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है. रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ में कहा कि अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर का निर्माण हो. रामलला विराजमान ने विवादित जमीन का पूरा हिस्सा राम मंदिर निर्माण के लिए देने की बात कही. वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर बंद लिफाफे में जवाब दाखिल किया गया है. सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उन्हें वही राहत चाहिए जो उन्होंने बहस के दौरान कही थी. यानी कि विवादित जमीन पर विध्वंस से पहले जैसी बाबरी मस्जिद का निर्माण हो. वहीं हिंदू महासभा ने अपने जवाब में राम मंदिर के निर्माण पर पूरे मंदिर की व्यस्था करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक ट्रस्ट बनाने की बात कही है.

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को अयोध्या केस की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सभी पक्षकारों से तीन दिन के भीतर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर जवाब मांगा गया. इसके बाद सभी पक्षकारों ने शनिवार को एक-एक कर अपने जवाब कोर्ट में दाखिल किए. अयोध्या केस का फैसला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के 17 नवंबर को रिटायरमेंट से पहले आ जाएगा.

रामलला विराजमान की ओर से मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा गया कि अयोध्या में विवादित जमीन का पूरा हिस्सा राम मंदिर के लिए दिया जाए. मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा को जमीन का कोई भी हिस्सा नहीं दिया जाए.

वहीं राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने अपने जवाब में कहा कि विवादित जमीन पर राम मंदिर बने और मंदिर प्रशासन के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाए. हिंदू महासभा की ओर से भी इसी तरह का जवाब अदालत में दाखिल किया. उनकी भी मांग है कि राम मंदिर के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट एक ट्रस्ट का गठन करे. जिससे पूरे मंदिर की व्यवस्था और प्रबंधन हो सके.

दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सील बंद लिफाफे में जवाब दाखिल किया गया है. सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने अपने जवाब में बहस के दौरान रखी गई राहत देने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान विवादित जमीन पर पहले की तहर बाबरी मस्जिद बननी चाहिए.

हिंदू पक्ष ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर जवाब पर आपत्ति जताई-

रामलला विराजमान और हिन्दू महासभा ने मुस्लिम पक्ष के मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सील कवर में लिखित जवाब देने पर आपत्ति जताई है. दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जरनल को पत्र लिखकर शिकायत की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहीं नहीं जिक्र किया कि मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर जवाब सील कवर में दाखिल किया जाए. ऐसे में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के जवाब को स्वीकार न किया जाए और न ही इसे पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष रखा जाए.

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सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे लंबी सुनवाई: पहली केशवानंद भारती केस 68 दिन, दूसरी अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस 40 दिन, तीसरी आधार कार्ड वैधानिकता केस 38 दिन

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