सबको नहीं था तिरंगा फहराने का अधिकार, इस उद्योगपति ने दिलाया तिरंगा फहराने का मौलिक अधिकार

नई दिल्ली, स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, जिसके तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों से अपने घरों में तिरंगा लगाने और इसे फहराने की अपील की है. […]

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सबको नहीं था तिरंगा फहराने का अधिकार, इस उद्योगपति ने दिलाया तिरंगा फहराने का मौलिक अधिकार

Aanchal Pandey

  • August 13, 2022 9:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, जिसके तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों से अपने घरों में तिरंगा लगाने और इसे फहराने की अपील की है. पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि सभी लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगे की डीपी लगाकर इस अभियान को और सशक्त बनाएं। अब पीएम की अपील के बाद लोगों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगे की फोटो लगानी शुरू कर दी है. आज हर-घर तिरंगा अभियान के तहत हर कोई अपने घर पर तिरंगा तो फहरा रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि पहले गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर ही तिरंगा फहराने का अधिकार था, लेकिन बाद में एक इंडस्ट्रियलिस्ट ने सभी को तिरंगा फहराने का ये मौलिक अधिकार दिलाया.

कैसे मिला मौलिक अधिकार

आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आइए आपको इंडस्ट्रियलिस्ट और पूर्व सांसद नवीन जिंदल के बारे में बताते हैं जिन्होंने देश के हर नागरिक को अपना प्यारा तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया. दरअसल, राष्ट्रीय ध्वज के लिए नवीन जिंदल का जुनून संयुक्त राज्य अमेरिका में टेक्सास विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन के दौरान शुरू हुआ था. साल 1992 में भारत वापस आने के बाद, नवीन ने अपने कारखाने पर हर दिन तिरंगा फहराना शुरू कर दिया, जिसके बाद उन्हें जिला प्रशासन ने ऐसा करने से मना किया और दण्डित करने की चेतावनी भी दी.

सुप्रीम कोर्ट तक गए जिंदल

अब नवीन जिंदल को यह बात अखर गई और उन्होंने खुद को और भारत के नागरिकों को अपने राष्ट्र ध्वज को निजी तौर पर फहराने के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़ा खटखटाया. अंत में देश की सबसे बड़ी अदालत ने इनके पक्ष में फैसला सुनाया और नवीन जिंदल का तिरंगा प्रेम जीत गया. नवीन जिंदल द्वारा लड़ी गई सात सालों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि देश के प्रत्येक नागरिक को आदर, प्रतिष्ठा एवं सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार है, इस तरह यह प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार बना.

इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फ्लैग कोड में संशोधन किया था. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को आदेश दिया की वह इस विषय को गंभीरता से ले और “फ्लैेग कोड” में संशोधन भी करे, इससे पहले सिर्फ स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अलावा किसी भी दिन भारत के नागरिकों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अधिकार नहीं था, खास कर अपने घरों या कार्यालयों में. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 26 जनवरी 2002 से भारत सरकार फ्लैग कोड में संशोधन कर भारत के सभी नागरिकों को किसी भी दिन राष्ट्र ध्वज को फहराने का अधिकार दिया गया, बशर्ते, इस राष्ट्र ध्वज को फहराने के क्रम में “राष्ट्र ध्वज की प्रतिष्ठा, गरिमा बरक़रार रहे और किसी भी स्थिति में इसका अपमान ना होने पाए.

 

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