देश-प्रदेश

विजय दिवस पर भारतीय सेना की जीत को मिटाने की कोशिश, सर्वे में फूटा देशभक्तों का गुस्सा

नई दिल्ली : 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना द्वारा आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने की ऐतिहासिक तस्वीर, जो लंबे समय से भारत की सबसे बड़ी सैन्य जीत का प्रतीक रही है। अब इस तस्वीर को सेना प्रमुख के कार्यालय से हटा दिया गया है। यह तस्वीर दशकों से कार्यालय में टंगी थी, जहाँ इसे अक्सर विदेशी गणमान्य व्यक्तियों और सैन्य जनरलों के साथ आधिकारिक बैठकों की पृष्ठभूमि में देखा जाता था। अब सवाल यह है कि क्या भारतीय सेना के कार्यालय से नियाज़ी के आत्मसमर्पण की तस्वीर हटाकर भारतीय सेना की बहादुरी को भुलाने की कोशिश की जा रही है? इन सबके बीच ITV ने एक सर्वे किया है, जिसमें लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।

भारतीय सेना के ऑफिस में 1971 की पाकिस्तान की सरेंडर वाली तस्वीर हटा दी गई है, आपकी राय?
सही                                                                           43.00%
गलत                                                                         55.00%
कह नहीं सकते                                                          02 .00%

भारतीय सेना के ऑफिस से नियाजी के सरेंडर की तस्वीर हटाकर क्या भारतीय सेना के शौर्य को भुलाने की कोशिश है?

हां                                                                                  63.00 %
नहीं                                                                               28.00 %
कह नहीं सकते                                                              09.00 %

भारतीय सेना के ऑफिस में पैंगोंग लेक वाली नई तस्वीर में कर्म क्षेत्र उकेरा गया है, इसका मतलब?
भारतीय सेना की स्ट्रैट्जी                                                  18.00 %
भारतीय सेना की तकनीकी दक्षता                                    23.00 %
चीन को कड़ा संदेश                                                        45.00 %
कह नहीं सकते                                                                14.00 %

बांग्लादेश जब एहसानफरामोश निकला तो उसके विजय दिवस को भारत को क्या याद रखना चाहिए?
हां                                                                                       46.00 %
नहीं                                                                                     51.00 %
कह नहीं सकते                                                                    03.00 %

कई आलोचकों ने अनुमान लगाया है कि यह बदलाव राजनीति से प्रेरित है, कुछ का मानना ​​है कि सरकार 1971 की जीत की विरासत से खुद को दूर करने की कोशिश कर रही है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। आलोचना के जवाब में, रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए ‘कर्म क्षेत्र – कर्मों का क्षेत्र’ शीर्षक वाली नई पेंटिंग का बचाव किया और इसे सेना की ‘धार्मिकता के प्रति शाश्वत प्रतिबद्धता’ का प्रतिनिधित्व बताया।

 

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Manisha Shukla

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