नई दिल्ली. महाराष्ट्र में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया से जुड़ा एक और बड़ा खुलासा हुआ है. महाराष्ट्र के संभाजी नगर एटीएस ने पुलिस के सामने एक बड़ा खुलासा किया है, इस मामले में एटीएस ने बताया कि पीएफआई की रडार पर कुछ न्यायधीश और पुलिस के आला अधिकारी थे, ये लोग इन्हें जान से मारने […]
नई दिल्ली. महाराष्ट्र में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया से जुड़ा एक और बड़ा खुलासा हुआ है. महाराष्ट्र के संभाजी नगर एटीएस ने पुलिस के सामने एक बड़ा खुलासा किया है, इस मामले में एटीएस ने बताया कि पीएफआई की रडार पर कुछ न्यायधीश और पुलिस के आला अधिकारी थे, ये लोग इन्हें जान से मारने की फिराक में थे. वहीं, जब इनके बैंक खाते खंगाले गए तो इनके बैंक में लाखों रुपये डिपॉज़िट किए गए थे. एटीएस का कहना है कि पीएफआई के लोगों की बहुत बड़ी साज़िश थी जिसमें वो पुलिसकर्मी और न्यायधीश को निशाना बनाना चाहते थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएफआई के लोगों की चार स्टेज ट्रेनिंग भी होती है. एटीएस ने ये भी बताया कि पीएफआई नए लोगों को चार स्टेज की ट्रेनिंग देती थी. पहले वो ट्रेनिंग देती थी, फिर ब्रेनवॉश करती थी, फिर लीगल मामलों की जानकारी देती थी और अंत में किसी मामले में अगर फंस जाए तो उसमें कोर्ट में कैसे अपने पक्ष में अच्छा वकील खड़ा करना है, इसके बारे में भी बताया जाता था.
जब भी पीएफआई नए लोगों को जोड़ने की सोचती थी तो उनपर पहले तो चार महीने तक पैनी नज़र रखी जाती थी. इन चार महीनों में उसकी पूरी कुंडली निकाली जाती थी, उसके घर-परिवार से लेकर खानदान के बारे में जानकारी एकत्रित की जाती थी. 20 लोगों का परिवार है तो उसमें से सिर्फ दो को ही शामिल किया जाता है.
पीएफआई जिन लोगों को सदस्य बनाती थी उन्हें खुद को साबित करने के लिए छह महीने का समय दिया जाता है. उन्हें ये साबित करना होता है कि वो अपने धर्म को लेकर कितने कट्टर हैं और क्या-क्या कर सकते हैं. इसमें उन्हें सोशल मीडिया पर विवादित मैसेज लिखने की भी ट्रेनिंग दी जाती थी. पुलिस वालों को गुमराह कैसे किया जाए, इसकी भी उन्हें शिक्षा दी जाती थी.
स्टेज 2 के बाद सदस्यों को महाराष्ट्र और केरल में तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी. जो सदस्य हमेशा के लिए जुड़ जाते थे, उन्हें विविध प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती थी, इसके लिए सदस्यों को सबसे पहले अपने घर और परिवार का त्याग करना पड़ता था. बदले में उन्हें पैसों के अलावा सभी जरूरत की चीज दी जाती थी, तीन महीने तक तो उन्हें घर खर्च भी दिया जाता है.
सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय लिंक बनाने की जिम्मेदारी दी जाती थी. स्टेज चार के सदस्यों को किसी भी आतंकी साजिश में मदद पहुंचाने का काम भी दिया जा सकता है. एटीएस की जानकारी के मुताबिक स्टेज 3 में सिर्फ पांच फीसदी लोग ही पहुँच पाते हैं.
महाराष्ट्र: एकनाथ शिंदे VS उद्धव ठाकरे! दशहरा रैली ने बता दिया असली शिवसेना किसकी?
Fire Break Out in Gandhi Nagar: गांधी नगर कपड़ा मार्केट में इमारत की दूसरी मंजिल से शव बरामद