प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या मामले में आज एसआईटी की टीम क्राइम सीन को रिक्रिएट करेगी। SIT लखनऊ की फॉरेंसिक टीम के साथ क्राइम सीन को रिक्रिएट करेगी। इसके लिए स्पेशल टीम तीनों आरोपियों को घटनास्थल पर लाएगी। इसके साथ ही मौका-ए-वारदात की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। बता दें कि पुलिस ने प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल की सुरक्षा कड़ी दी है, यहीं पर 15 अप्रैल को अतीक अहमद और अशरफ अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अतीक-अशरफ हत्याकांड के आरोपियों से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। इस बीच पुलिस कस्टडी में शूटर सनी सिंह ने बड़ा कबूलनामा किया है। सनी ने बताया है कि उसे और उसके साथियों को दिल्ली के जितेंद्र गोगी गिरोह के संपर्क से आधुनिक विदेशी हथियार मिले थे। कानपुर निवासी बाबर भी इसी गैंग से जुड़ा था। बाबर के जरिए ही ये तीनों लोग गोगी गैंग के संपर्क में आए थे। बता दें कि पुलिस तीनों लोगों के दावों को क्रॉस चेक भी कर रही है, क्योंकि ये लगातार बयान बदल रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, जितेंद्र गोगी गिरोह इन तीनों आरोपियों से दिल्ली-एनसीआर में बड़ी वारदा कराना चाहता था। गोगी गैंग ने ही इन्हें न्यूज चैनल की आईडी, बड़ा कैमरा और आई कार्ड दिया था। बता दें कि सितंबर 2021 में दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में जितेंद्र गोगी की हत्या कर दी गई थी। जितेंद्र कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का बेहद खास था।
इससे पहले पुलिस पूछताछ में अतीक-अशरफ हत्याकांड के तीनों आरोपियों ने यह भी कबूला था कि वे लॉरेंस बिश्नोई के जैसा बनना चाहते थे। उन्होंने बताया कि अस्पताल में पुलिस पर गोलीबारी करने का कोई प्लान नहीं था और वो तीनों मरने नहीं आए थे। इसीलिए अतीक और उसके भाई अशरफ को मारने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया। बता दें कि तीनों हत्यारों में से एक सनी सिंह के अपराध का कनेक्शन उत्तर प्रदेश के कई जिलों से मिल रहा है। हमीरपुर के रहने वाले सनी जालौन में आपराधिक इतिहास रहा है।
गौरतलब है कि, माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की बीते 15 अप्रैल को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई। लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या नाम के तीन बदमाशों ने काल्विन अस्पताल के बाहर अतीक और अशरफ की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। तीनों आरोपी 12 अप्रैल को लखनऊ से बस के जरिए प्रयागराज आए थे। वे काल्विन अस्पताल से डेढ़ किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन के सामने एक होटल में ठहरे थे। तीनों 13 अप्रैल को कोर्ट में अतीक-अशरफ को मारना चाहते थे, लेकिन उस वक्त उन्हें मौका नहीं मिला था। इसके बाद 15 अप्रैल की रात उन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया।
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