पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों को देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार की गंगा में प्रवाहित कर दिया गया. इस दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ. अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता और नातिन निहारिका मौजूद रहीॆं. तीन बार देश के पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को एम्स में हो गया था. जिसके बाद 18 अगस्त को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार स्मृति स्थल में किया गया था. इस दौरान पीएम मोदी सहित कई दिग्गज मौजूद रहे थे.
हरिद्वारः दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि विसर्जन हरिद्वार की हर की पौड़ी पर कर दिया गया. रविवार को उनकी अस्थियां स्मृति स्थल से उनकी दत्तक बेटी नमिता और नातिन निहारिका ने एकत्र किया, जिन्हें बाद में हरिद्वार ले जाया गया. अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शामिल हुए.
उत्तराखंड के हरिद्वार में विभिन्न रास्तों से कलश यात्रा निकाली गई. तीन कलश में रखे पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियों को पहले प्रेम आश्रम ले जाया गया और फिर विसर्जन हर की पौड़ी पर कर दिया गया. दिवंगत नेता की अस्थियों को देश की 100 अन्य पवित्र नदियों में भी विसर्जित किया जाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का शुक्रवार को यहां पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था. उनका गुरुवार को एम्स में 93 साल की उम्र में निधन हो गया था. वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता ने वैदिक मंत्रोच्चार और सैनिकों द्वारा 21 बंदूकों की सलामी के बीच उन्हें दिल्ली के स्मृति स्थल पर मुखाग्नि दी.
LIVE : Last rites of former PM Atal Bihari Vajpayee Ji from BJP HQ to Rashtriya Smriti Sthal, Delhi. #AtaljiAmarRah… https://t.co/rZdeVvCNkg
— BJP (@BJP4India) August 17, 2018
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रीय स्मृति स्थल में महान नेता को अंतिम विदाई दी. लोग वाजपेयी के आवास कृष्णा मेनन मार्ग पर शुक्रवार से ही इकट्ठे होने लगे थे, जहां उनके पार्थिव शरीर को गुरुवार रात को रखा गया था. पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को उनके घर से भाजपा मुख्यालय लोगों के दर्शन के लिए लाया गया और यहां उनके पार्थिव शरीर को तीन घंटे तक रखा गया.
पार्टी मुख्यालय से स्मृति स्थल तक उनकी अंतिम यात्रा अपराह्न् एक बजे शुरू होनी थी, लेकिन हजारों समर्थक और प्रशंसक अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिए 6-ए दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर इकट्ठा हो गए, जिस वजह से यात्रा में एक घंटे की देरी हो गई. सैन्य परंपरा के अनुसार, नेताओं द्वारा वाजपेयी के पार्थिव शरीर को पुष्पचक्र अर्पित करने से पहले तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने श्रद्धांजलि अर्पित की.
इसके बाद वाजपेयी के पार्थिव शरीर से लिपटे तिरंगे को हटा लिया गया और इसे दत्तक पोती निहारिका को दे दिया गया, जिसके बाद पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों का सौंप दिया गया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भाजपा नेता और वाजपेयी के लंबे समय से सहयोगी रहे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, गृहमंत्री राजनाथ सिह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अंतिम संस्कार के समय मौजूद थे.
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