पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं है. उनकी मौत के बाद लोग उन्हें एक बेहतरीन नेता के तौर पर याद कर रहे हैं. वहीं कुछ लोग उनकी आलोचना कर उनके व्यक्तित्व को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. विष्णु शर्मा बता रहे हैं एक ऐसा ही वाकया जो महात्मा गांधी की मौत के बाद सामने आया था. यह था जिन्नाह का शोक संदेश.
नई दिल्ली. अटल बिहारी बाजपेयी के मरने के बाद जहां तमाम लोग उनकी शख्सियत और कविताओं को लेकर कसीदे पढ़ रहे हैं, तो वहीं कई सारे लोग ऐसे हैं जो इस मौके पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे. कोई उनके बाबरी मस्जिद वाले भाषण को शेयर कर उनको साम्प्रदायिक बता रहा है, तो कोई उनकी तुलना मोदी से करके मोदी को गरिया रहा है. लेकिन ये राजनीति है, जब भी देश किसी को महान बताने लगता है एक्शन का रिएक्शन होता है, फौरन उसके विरोधी उसकी मौत पर भी तमाशा करने लगते हैं, जैसे कभी जिन्ना ने गांधीजी की मौत पर किया था. एक ऐसा शोक संदेश भेजकर जिसमें गांधीजी के महान व्यक्तित्व को एक छोटे से साम्प्रदायिक खांचे में समेटने की कोशिश की गई थी.
गांधीजी की हत्या की खबर से देश ही नहीं विश्व भर में शोक की लहर दौड़ गई थी. दुनियां भर की मशहूर हस्तियों ने शोक संदेश भेजे. जॉर्ज बर्नाड शॉ ने तो ये तक कहा कि यह दिखाता है कि अच्छा होना कितना खतरनाक होता है. किंग जॉर्ज षष्ठम ने इसे भारत ही नहीं सारी मानवता के लिए ही क्षति बताया. इतना ही नहीं गांधीजी की मौत ने पटेल और नेहरू जैसे विरोधियों को भी एक साथ ला दिया था.
माउंटबेटन तब पटेल और नेहरू के बीच के मतभेदों के बारे में जानते थे, उन्हें लगा यही मौका है और दोनों को कहा कि गांधीजी की यही आखिरी इच्छा थी कि तुम दोनों साथ काम करो. माउंटबेटन ने उन्हें बताया कि गांधीजी ने पिछले दिनों मुलाकात में मुझसे कहा था, ‘वो दोनों मुझसे ज्यादा तुम्हारी सुनते हैं, तुम उन दोनों से साथ मिलकर काम करने को कहो.’ ये निर्णायक मोड़ था और दोनों ने उस भावुक क्षण में अपने मतभेदों को भुला दिया, और ये दरार बाद में सोमनाथ मंदिर और 1950 में राजर्षि टंडन के कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में ही सतह पर आ पाई.
ऐसे में चाहे पटेल और राजेन्द्र प्रसाद जैसे गांधीजी के करीबी हों या फिर डा. अम्बेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे उनके आलोचक, सबने गांधीजी को एक महान विभूति बताया और उनकी हत्या की निंदा की, उनकी मौत को देश की सबसे बड़ी क्षति बताया. इन तमाम देशी विदेशी हस्तियों के बीच पाकिस्तान से मोहम्मद अली जिन्ना का शोक संदेश चर्चा का विषय बन गया, अपने मैसेज में भले ही जिन्ना ने दो बार गांधीजी को ग्रेट लिखा लेकिन कुछ ऐसा भी लिखा, जिससे आज तक उस शोक संदेश को लेकर देश में उसकी निंदा की जाती है. छोटी सोच के इस संदेश के चलते जिन्ना के सहयोगियों ने भी उस वक्त विरोध किया था. जिन्ना का पूरा शोक संदेश जानना चाहते हैं, तो देखिए ये वीडियो स्टोरी विष्णु शर्मा के साथ—
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