नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी को आज देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में गिना जाता है। उन्होंने अपने पीएम पद के कार्यकाल में कई दूरगामी परिणाम देने वाले काम किए। लेकिन उनको हमेशा ही उनके शानदार भाषणों तथा अपनी बातचीत से दूसरों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता रहा है। अटल जी की समावेशी राजनीति […]
नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी को आज देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में गिना जाता है। उन्होंने अपने पीएम पद के कार्यकाल में कई दूरगामी परिणाम देने वाले काम किए। लेकिन उनको हमेशा ही उनके शानदार भाषणों तथा अपनी बातचीत से दूसरों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता रहा है। अटल जी की समावेशी राजनीति के चलते उनको विरोधियों को भी कई बार अपने साथ लेकर चलने में सफलता मिली थी। उनकी वाकपटुता और तर्क के आगे कोई भी टिक नहीं पाता था। बता दें कि 25 दिसंबर को देश उनका जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में, 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। उन्होंने हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी तथा राजनीतिशास्त्र में शिक्षा हासिल की थी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा एक समय जनता पार्टी का हिस्सा रहे अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के संस्थापकों में से एक थे। वह संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देने वाले दुनिया के सबसे पहले व्यक्ति थे। अटल जी शुरू से ही अपने भाषण से लोगों को प्रभावित करते थे। यहां तक कि देश के पहले पीएम पंडित जवहार लाल नेहरू भी उनके भाषणों से प्रभावित थे और उन्होंने तो ये कह दिया था कि अटल जी एक दिन पीएम बनेंगे।
एक वक्त था जब भारत की राजनीति में कोई भी राजनैतिक पार्टी भाजपा से दूरी रखा करती थी। उसके हर नेता की तीखी आलोचना होती थी। हालांकि अटल जी इसका अपवाद थे। बता दें कि विपक्षी भी उनकी आलोचना करने से घबराते थे। वाजपेयी खुल कर हिंदुत्व तथा अपनी पार्टी के ज्वलंत मुद्दों की पैरवी करते थे और अपने आलोचकों का मुंह भी बखूबी बंद कर दिया करते थे। हैरानी की बात है कि अटल जी ने कभी भी अपनी पार्टी को सामप्रदायिक पार्टी नहीं माना बल्कि वह बड़े ही तार्किक ढंग से इसे विरोधियों का दुष्प्रचार करार देते थे। अटल जी का कहना था कि हिंदुत्व की बात करना साम्प्रदायिकता नहीं है।