असम: गुवाहाटी। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के अंदर सूर्यास्त के बाद वाहन सफारी को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिंमत बिस्व सरमा और आध्यात्मिक गुरू जग्गी वासुदेव की आलोचना हो रही हैं। पर्यावरण और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने निशाना साधते हुए कहा है कि उन्होंने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 27 का उल्लंघन किया […]
गुवाहाटी। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के अंदर सूर्यास्त के बाद वाहन सफारी को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिंमत बिस्व सरमा और आध्यात्मिक गुरू जग्गी वासुदेव की आलोचना हो रही हैं। पर्यावरण और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने निशाना साधते हुए कहा है कि उन्होंने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 27 का उल्लंघन किया है। बता दें कि ये कानून ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक के अलावा किसी को भी वन्यजीव अभयारण्य में प्रवेश की अनुमति नहीं देता है।
पशु अधिकार कार्यकर्ता सोनेश्वर नारा और प्रबीन पेगू ने सीएम हिंमत, सदगुरू और असम के पर्यटन मंत्री के खिलाफ गोलाघाट जिले के बोकाखाट थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने इनके खिलाफ अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग की है। मीडिया से बात करते हुए नारा ने कहा कि इस विश्व प्रसिद्ध पार्क के लिए काजीरंगा के आसपास के ग्रामीणों ने बहुत बलिदान दिए हैं।
पशु कार्यकर्ता ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने पर पहले कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। लोगों को कारावास की सजा भी सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि देश में कानून सबके लिए बराबर है तो निर्धारित समय से ज्यादा तक वाहन सफारी करने पर सीएम हिंमत, सदगुरू और राज्य के पर्यटन मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा, सदगुरू और पर्यटन मंत्री ने शनिवार को काजीरंगा के अंदर निर्धारित समय से दो घंटे ज्यादा तक वाहन सफारी की थी। सफारी वाहन को सदगुरू चला रहे थे, मुख्यमंत्री यात्री सीट पर बैठे थे और बाकी सभी पीछे बैठे थे। सभी लोगों ने दो किलोमीटर की दूरी तक वाहन सफारी की थी।
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