नई दिल्ली: भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) द्वारा निर्मित एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का उद्घाटन लद्दाख के हानले में किया गया है। इस मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला को बीएआरसी की तकनीकी सहायता से स्थापित किया गया है। मुंबई स्थित बीएआरसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और अन्य भारतीय […]
नई दिल्ली: भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) द्वारा निर्मित एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का उद्घाटन लद्दाख के हानले में किया गया है। इस मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला को बीएआरसी की तकनीकी सहायता से स्थापित किया गया है। मुंबई स्थित बीएआरसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और अन्य भारतीय उद्योग साझेदारों के सहयोग से इस दूरबीन का स्वदेशी निर्माण किया है।
बता दें इस वेधशाला का उद्घाटन परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया। वहीं डीएई के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष, डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने 4 अक्टूबर को हानले, लद्दाख में इसका शुभारंभ किया। उन्होंने इस परियोजना को सामूहिक प्रयासों की उत्कृष्ट मिसाल बताया और इसके महत्व पर जोर दिया।
एमएसीई वेधशाला से भारत को वैश्विक स्तर पर खगोल भौतिकी और ब्रह्मांडीय-किरण अनुसंधान में अग्रणी स्थान प्राप्त होगा। मोहंती ने कहा कि इस दूरबीन की मदद से वैज्ञानिक उच्च ऊर्जा वाली गामा किरणों का अध्ययन कर सकेंगे, जो ब्रह्मांड की सबसे ऊर्जावान घटनाओं, जैसे सुपरनोवा और ब्लैक होल, को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगी। वहीं लद्दाख में 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन, ब्रह्मांडीय किरणों के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी योगदान देगी।
एमएसीई वेधशाला, भारत को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। यह न केवल एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन है, बल्कि इस प्रकार की सबसे ऊंची दूरबीन भी है, जो वैश्विक वेधशालाओं के साथ मिलकर मल्टीमैसेंजर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में देश की स्थिति को और मजबूत बनाएगी।
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