असदुद्दीन ओवैसी ने बाबा साहब अंबेडकर के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान में अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए उचित अधिकारों का प्रावधान किया था. लेकिन यह सभी को स्पष्ट है कि बाद के दौर में राजनीति में अल्पसंख्यकों को कितनी तरजीह दी गई।
नई दिल्ली: शनिवार को लोकसभा में भी संविधान पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की बहस जारी है. इस दौरान एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर राजनीति में दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया है. असदुद्दीन ओवैसी ने बाबा साहब अंबेडकर के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान में अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए उचित अधिकारों का प्रावधान किया था. लेकिन यह सभी को स्पष्ट है कि बाद के दौर में राजनीति में अल्पसंख्यकों को कितनी तरजीह दी गई।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आज धर्म परिवर्तन का अधिकार खत्म किया जा रहा है. शायद बाबा साहेब होते तो उन्होंने भी अनुमति ली होती. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिस समस्या पर बाबा साहब ने पचहत्तर साल पहले चिंता जताई थी वह समस्या आज भी कायम है. देश के राजनीतिक हालात को देखते हुए उन्होंने कहा था कि कोई भी पार्टी नहीं चाहती कि राजनीति में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़े.
औवेसी ने कहा कि बाबा साहेब की वह बात आज भी सच लगती है. इस पूरे मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के सीमांकन पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि संविधान लागू होने के बाद देशभर में जानबूझकर इस तरह से परिसीमन किया गया कि अल्पसंख्यकों को इसमें कम से कम मौका मिल सके. वहीं इस दौरान उन्होंने सच्चर कमेटी का भी जिक्र किया.
इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने राजनीति में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व को लेकर सच्चर कमेटी की सिफारिश की भी वकालत की. उन्होंने सदन में सवाल उठाया कि क्या आने वाले समय में जो जनगणना होगी, उसके बाद जो परिसीमन होगा, वह भी सच्चर कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक होगा या वही होगा जो 75 साल से होता आ रहा है.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि क्या संविधान में उल्लिखित अनुच्छेद 25, अनुच्छेद 26, अनुच्छेद 29, अनुच्छेद 13, अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का पालन ठीक से किया गया? इस दौरान ओवैसी ने मुस्लिम लड़कियों को स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने से रोकने का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि किस संविधान के तहत इसे रोका जा रहा है? उन्होंने खाने-पीने और पहनने की राजनीति पर प्रहार किया.
वहीं उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ऐसा देखा जा रहा है. इस दौरान ओवैसी ने मॉब लिंचिंग और धर्म परिवर्तन के कई मामले भी उठाए. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर बाबा साहब आज जीवित होते तो क्या उन्हें भी अपना धर्म बदलने के लिए इजाजत लेनी पड़ती? अपने भाषण में ओवैसी ने कुछ मस्जिदों के सर्वे और वक्फ बोर्ड विवाद पर भी अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि आज हमारी संस्कृति को जबरन अल्पसंख्यकों पर थोपा जा रहा है.
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