नई दिल्ली : बिलकिस बानो केस गुजरात दंगों से जुड़ा सबसे बड़ा मामला माना जाता है. जहां 21 वर्षीय बिलकिस बानो के घर में घुसकर कुछ दंगाइयों ने उसके परिवार को ख़त्म कर दिया था. इतना ही नहीं बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया हैरत की बात ये है कि उस समय बिलकिस […]
नई दिल्ली : बिलकिस बानो केस गुजरात दंगों से जुड़ा सबसे बड़ा मामला माना जाता है. जहां 21 वर्षीय बिलकिस बानो के घर में घुसकर कुछ दंगाइयों ने उसके परिवार को ख़त्म कर दिया था. इतना ही नहीं बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया हैरत की बात ये है कि उस समय बिलकिस बानो 5 माह गर्भवती थी. इस घटना को लेक बिलकिस बानो ने काफी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी.
Barrister @asadowaisi addressed a press conference today. He slammed the release of Bilkis Bano gang-rape convicts in Gujarat. He also spoke about other issues including role of Muslims in freedom movement & growing attacks on Kashmiri Pandits https://t.co/8kLH3Xe62F
— AIMIM (@aimim_national) August 16, 2022
जिसके बाद साल 2008 में उन्हें करीब 6 साल बाद न्याय मिला और सभी 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा हुई. लेकिन अब इस केस ने नया मोड़ लिया है. लंबी लड़ाई के बाद मिला न्याय बेहद कमजोर नज़र आ रहा है. जहां सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार की एक कमेटी के निर्णय के तहत रिहा कर दिया गया है. सभी दोषियों को 15 अगस्त के दिन रिहा कर दिया गया और माफ़ी दी गई. इस पर कई लोगों ने नाराज़गी जताई है और राज्य सरकार पर निशाना साधा है. इसी कड़ी में अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का भी आरोप लगाया है.
AIMIM प्रमुख ओवैसी ने मामले में नाराज़गी जाहिर करते हुए पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो साझा किया है. AIMIM प्रमुख इस वीडियो में दोषियों के रिहा होने पर नाराज़गी दिखा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, “हम सब देश में आज़ादी के 75 साल मना रहे हैं और पीएम लाल किले से महिलाओं के सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं. उसी दिन एक क्राइम में, बिलकिस बानो केस (Bilkis Bano case) में जिन लोगों को सज़ा मिली थी, उसके दोषी जेल से रिहा हुए. बिलकिस का रेप हुआ, वह गर्भवती थी. जघन्य क्राइम हुआ था जिसके दोषी इसी दिन छूटे. ये हम क्या संदेश दे रहे हैं, इससे बड़ा तुष्टिकरण और क्या होगा? पीएम भाषण देते हैं कि उस पर अमल नहीं करते.”
This is BJP’s version of AZADI KA AMRIT. People who are GUILTY of a heinous crime have been given freedom. BJP’s bias for a religion is such that even brutal rape & hate crimes are forgivable. Will BJP-Shinde Maha govt form committee to consider Rubina Memon’s remission too? 1/2 https://t.co/dtelm7WBtX
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 15, 2022
बता दें, 15 अगस्त के दिन भी ओवैसी का एक ट्वीट सामने आया था जिसमें उन्होंने मामले में दोषियों के रिहा होने पर सवाल उठाए थे. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ‘ये भाजपा का आजादी का अमृत है. जो लोग इतने गंभीर मामले में सजा काट रहे थे, उन्हें आजादी दी गई है।.’ ओवैसी के वारों को देख कर तो ये लगता है कि मामले ने एक बार फिर राजनीति गरमा दी है.
3 मार्च 2002 बाकी दुनिया के लिए भले ही ये तारीख आम रही हो मगर इस दिन बिलकिस बानो का पूरा जीवन तबाह हो गया. बात उस समय की है जब बिलकिस के गर्भ में पांच महीने के पल रहे बच्चे के स्वागत के लिए उनका परिवार तैयारीयों में जुटा हुआ था. लेकिन इन खुशियों के आने से पहले ही गुजरात में हुए दंगों में सब तबाह हो गया. दंगाईयों की भीड़ बिलकिस के घर में घुसी और निर्ममता से उसकी आंखों के सामने पूरे परिवार को खत्म कर दिया.
दंगाईयों की दहशत यहां तक नहीं रुकी उन्होंने बिलकिस के साथ हैवानियत भी की. बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया. वह दर्द से तड़पकर बेहोश हो गई और जब बिलकिस को होश आया तो उन्होंने न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। लंबी लड़ाई के बाद उसके दोषियों को उम्रकैद हुई लेकिन अब उन्हें गुजरात सरकार ने उन सभी दोषियों को रिहा कर दिया है. इससे एक बार फिर बिलकिस बानो केस चर्चा में आ गया है.
15 साल से अधिक जेल की सजा काटने के बाद बिलकिस बानो केस के सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया है. बता दें, बिलकिस केस के दोषियों ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को दोषियों की सजा माफ करने के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था. इस
केस के लिए गुजरात सरकार ने एक समिति गठित की थी. अब पैनल की जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों को 15 अगस्त के दिन रिहा कर दिया गया है.
पैनल की अध्यक्षता करने वाली पंचमहल की कलेक्टर सुजल मायात्रा ने बताया, ‘कुछ महीने पहले गुजरात सरकार द्वारा गठित समिति ने मामले के सभी 11 दोषियों की छूट के पक्ष में सर्वसम्मति से निर्णय लिया था. मामले में राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी जिसपर फैसला लेते हुए स्वतंत्रता दिवस पर दोषियों को रिहा कर दिया गया है.’
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