Arvind Subramanian On India Economic Crisis: भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत बड़ी मंदी की तरफ बढ़ रहा है. देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है. इसके साथ ही सुब्रमण्यन ने बैलेंस शीट की समस्या की तरफ इशारा करते हुए मोदी सरकार को बड़ा खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी है. पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से कोई सामान्य मंदी नहीं है. यह भारत की महान मंदी है, जहां अर्थव्यवस्था को गहन देखभाल की जरूरत आ पड़ी है. मालूम हो की अरविंद सुब्रमण्यन वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे.
Arvind Subramanian On India Economic Crisis: भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने देश के आर्थिक हालात पर चिंता जताई है. अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत बड़ी मंदी की तरफ बढ़ रहा है. देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है. इसके साथ ही सुब्रमण्यन ने बैलेंस शीट की समस्या की तरफ इशारा करते हुए मोदी सरकार को बड़ा खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी है. दरअसल अरविंद सुब्रमण्यन ने हावर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के एक ड्राफ्ट वर्किंग पेपर में कहा कि मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को दोहरे बैलेंस शीट संकट की दूसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है. यह एक बड़ी मंदी का रूप है.
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से कोई सामान्य मंदी नहीं है. यह भारत की महान मंदी है, जहां अर्थव्यवस्था को गहन देखभाल की जरूरत आ पड़ी है. सुब्रमण्यन ने बताया कि दोहरे बैलेंस सीट का मतलब बैंकों की बैलेंस सीट पर एनपीए का बढ़ता दबाव है. इस एनपीए में बड़ी कंपनियों का बड़ा कर्ज शामिल होता है. मालूम हो की अरविंद सुब्रमण्यन वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
इसके साथ ही अरविंद सुब्रमण्यन ने टीबीएस समस्या पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह संकट निजी कॉर्पोरेट कंपनियों की वजह से आया है. कंपनियों ने यह कर्ज दिसंबर 2014 में लिया था. बता दें कि टीबीएस की समस्या स्टील, ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों के कर्जे के चलते आई थी. यह कर्ज 2004 से 2014 के बीच लिए गए थे. पेपर के मुताबिक टीबीएस-2 डिमॉनेटाइजेशन के बाद हुआ है. इसमें रियल स्टेट फर्म और एनबीएफसी कंपनियां शामिल हैं.
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नोटबंदी के बाद बैंकों के पास बड़ी संख्या में पैसा आया, जिसका बड़ा हिस्सा उन्होंने एनबीएफसी कंपनियों को उधार दिया. एनबीएफसी कंपनियों ने यह पैसा रियल स्टेट सेक्टर की कंपनियों को उधार दिया. वर्ष 2017-18 तक रियल सेक्टर के 5 लाख करोड़ रुपये के लोन में एनबीएफसी कंपनियों का हिस्सा है.
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