NCAER की रिपोर्ट- SBI को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का होना चाहिए निजीकरण

नई दिल्ली, सरकार देश में तेजी से निजीकरण की तरफ कदम बढ़ा रही है. इसी क्रम में सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ हो चुका है, बहुत जल्द सरकार बैंकों के नाम की घोषणा कर सकती है. देश में फिलहाल 12 सरकारी बैंक हैं, जिसमें IDBI के अलावा दो और बैकों का निजीकरण होना […]

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NCAER की रिपोर्ट- SBI को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का होना चाहिए निजीकरण

Aanchal Pandey

  • July 12, 2022 8:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, सरकार देश में तेजी से निजीकरण की तरफ कदम बढ़ा रही है. इसी क्रम में सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ हो चुका है, बहुत जल्द सरकार बैंकों के नाम की घोषणा कर सकती है. देश में फिलहाल 12 सरकारी बैंक हैं, जिसमें IDBI के अलावा दो और बैकों का निजीकरण होना तय है. इस बीच नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया और एनसीएईआर की महानिदेशक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य पूनम गुप्ता एक पालिसी पेपर लिखा है. इसमें उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर बाकी सभी बैकों का निजीकरण कर देना चाहिए.

हर बैंक पर लागू होती है पॉलिसी

अपनी पॉलिसी पेपर में पूनम गुप्ता ने लिखा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण किया जाना चाहिए. सिर्फ SBI को उसके बेहतर प्रदर्शन के कारण निजीकरण से दूर रखना चाहिए. दोनों अर्थशास्त्रियों के अनुसार सैद्धांतिक रूप से जो निजीकरण की रिपोर्ट तैयार की गई है, वो एसबीआई सहित सभी पब्लिक सेक्टर के बैकों पर लागू होती है. पूनम गुप्ता का कहना है कि वे मानते हैं कि भारतीय आर्थिक ढांचे और राजनीतिक सिस्टम के भीतर कोई भी सरकार अपने पोर्टफोलियो में एक भी सरकारी बैंक के बिना नहीं रहना चाहेगी. इसे ध्यान में रखते हुए उनका सुझाव है कि एसबीआई के अलावा अन्य सभी पब्लिक सेक्टर के बैंकों का निजीकरण करना होना चाहिए.

SBI का भी कर देना चाहिए निजीकरण

उन्होंने आगे लिखा है कि बेशक अगर कुछ साल बाद हालात निजीकरण के लिए और अधिक अनुकूल हो जाते हैं, तो बदलाव कर एसबीआई को भी इस सूचि में शामिल कर देना चाहिए. उनका कहना है कि सरकारी बैंकों के मुकाबले प्राइवेट बैकों का ऑपरेशन बहुत बेहतर है. ऐसे में अगर सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाता है, तो इनके काम करने के तरीके में बहुत हद तक सुधार होगा. अगर सरकारी बैंकों की बात करें, तो एसेट्स और इक्विटी के आधार पर प्राइवेट बैंकों के मुकाबले ये कमजोर हैं. वहीं डिपॉजिट और एडवांस लोन के मामले में भी प्राइवेट बैंक सरकारी बैकों से आगे निकल गए हैं.

इन बैंको का जल्द हो सकता है निजीकरण

सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा कर दी है. अब ये दो बैंक कौने से होने चाहिए, इसपर दोनों लेखकों ने लिखा कि पिछले पांच साल में जिन बैंकों का एसेट और इक्विटी पर रिटर्न सबसे अधिक हैं, साथ ही NPA सबसे कम है उसका निजीकरण सबसे पहले करना चाहिए क्योंकि अगर सरकार की हिस्सेदारी कम होगी तो उसका इन बैंक्स का निजीकरण करना आसान होगा.

कौन से बैंक का होगा निजीकरण

पिछली बार बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो और सरकारी बैकों के निजीकरण की घोषणा की थी. बहुत जल्द उन बैंक्स के नाम की घोषणा हो सकती है.

 

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