लखनऊ/नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और उनका समर्थन मांग रहे हैं. सीएम केजरीवाल अभी तक नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, केसीआर, एमके स्टालिन और हेमंत सोरेन से मुलाकात कर […]
लखनऊ/नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और उनका समर्थन मांग रहे हैं. सीएम केजरीवाल अभी तक नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, केसीआर, एमके स्टालिन और हेमंत सोरेन से मुलाकात कर चुके हैं. इसी कड़ी में वह बुधवार को लखनऊ पहुंचेंगे. यहां वे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे और केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सपा का समर्थन मांगेंगे. इस दौरान केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य AAP नेता मौजूद रहेंगे.
इससे पहले केजरीवाल ने 22 मई को दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इसके बाद 23 मई को वे कोलकाता में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मिले थे, फिर 24 मई को केजरीवाल मुंबई पहुंचे, यहां उन्होंने मातोश्री पहुंचकर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. 25 मई को AAP संयोजक ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके मुंबई में स्थित आवास पर मुलाकात की. इसके बाद केजरीवाल ने 27 मई को हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर से मुलाकात की थी. फिर 1 जून को चेन्नई में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और 2 जून को रांची में हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी.
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे. यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी. अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल करेंगे. अब 6 महीने के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.
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