भारत में महागठबंधन परखा हुआ विफल विचार, ये एक अराजक संयोजन के सिवा कुछ नहीं- अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी दलों की एकता पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में पहले भी महागठबंधन के प्रयास किए गए हैं, इनका परीक्षण किया गया है और यह हमेशा असफल रहे हैं.

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भारत में महागठबंधन परखा हुआ विफल विचार, ये एक अराजक संयोजन के सिवा कुछ नहीं- अरुण जेटली

Aanchal Pandey

  • October 6, 2018 6:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः ‘भारत में महागठबंधन एक अराजक संयोजन के सिवा कुछ नहीं है. देश में पहले भी महागठबंधन सरकार बनाने के प्रयास किए गए, इनका परीक्षण किया गया और ये हमेशा से असफल रहे. ये एक ऐसी कोशिश है जहां नीतियां नष्ट हो जाती हैं और सरकार की लंबी उम्र महज कुछ महीनों में सिमटकर रह जाती है.’ यह कहना है वित्त मंत्री अरुण जेटली का. उन्होंने यह बात एक अखबार के निजी कार्यक्रम में कही. जेटली ने विपक्षी दलों की एकता पर निशाना साधते हुए कहा कि महागठबंधन का प्रयास देश को अस्थिरता की ओर ले जाता है.

अरुण जेटली ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों से महागठबंधन के बारे में बहुत सी बातें हो रही हैं. देश में महागठबंधन हमेशा से असफल रहा है. वर्तमान समय में देश को सही शासन और नीति में सुसंगतता की जरूरत है. देश एक अराजक तरह के महागठबंधन को चुनने का जोखिम नहीं उठा सकता. अगर आपके साथ इस तरह की भीड़ है तो 2019 में चुनाव संगत नीतियों और एक मजबूत नेतृत्व के साथ एक स्थिर सरकार बनाम पूरी तरह से एक अस्थिर अराजक संयोजन के बीच होगा.’ 2019 लोकसभा चुनाव पर बोलते हुए जेटली ने कहा कि महत्वाकांक्षी समाज कभी आत्महत्या नहीं करता है इसलिए उन्हें पता है कि 2019 में क्या होने वाला है.

देश में बढ़ते एनपीए पर राहुल गांधी के आरोपों पर जेटली ने कहा कि राहुल को इस मुद्दे की ठीक समझ नहीं है. उनके लिए एनपीए और कर्जमाफी एक ही चीज है. बढ़ते एनपीए की शुरूआत यूपीए सरकार के दौरान बैंकों द्वारा बेहिसाब लोन देने से हुई थी. 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो एनपीए की वास्तविक स्थिति साढ़े 8 लाख करोड़ रुपये थी लेकिन कागजों में इसे ढाई लाख करोड़ रुपये ही दिखाया गया. कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए जेटली ने कहा, ‘ये झूठे लोन आपने दिए, जिसे नियम बनाकर हम वापस लाने की कोशिशें कर रहे हैं, अगर आपको सार्वजनिक मुद्दों पर बहस करनी है तो आपको नारेबाजी करने से पहले इन्हें समझने की जरूरत है.’

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