Arun Jaitley On Snooping Orders: गुरुवार को गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किए की 10 जांच एजेंसियां देशभर के किसी भी कंप्यूटर में मौजूद डाटा को कभी भी ले सकती हैं. ऐसा करने के लिए यदि कोई व्यक्ति मना करता है तो उसे 7 साल की सजा दी जाएगी. इसके बाद कांग्रेस ने कहा कि सरकार का ये फैसला लोगों की नीजता के अधिकार का हनन है. इसपर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस बात को बिना जाने बढ़ा रही है.
नई दिल्ली. गृह मंत्रालय ने गुरुवार को कंप्यूटर एवं अन्य संचार उपकरणों को केन्द्रीय एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के आदेश जारी किए. इस आदेश के बाद कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने राज्यसभा में विरोध किया. कांग्रेस का कहना था कि ये लोगों के निजता के अधिकार का हनन है. इस विरोध पर सदन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार के पक्ष में और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘कांग्रेस सुबह से बिना जानकारी के गलत प्रचार कर रही है कि सरकार ने लोगों के कंप्यूटर में मौजूद डाटा पर निगरानी के आदेश देकर उनके नीजता के अधिकार का हनन किया है. कांग्रेस की आदत हो गई है पहले बोलते हैं और बाद में उस मामले को समझते हैं.’
उन्होंने इस आदेश के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट लगभग दो दशकों से लागू है. इस एक्ट के सेक्शन 69 के तहत भारत की संप्रभुता या अखंडता को बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर में मौजूद जानकारी को पाने, निगरानी करने या डिक्रिप्ट करने के अधिकार दिए गए हैं. इस नियम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपाय शामिल हैं. इसमें अवरोधन या निगरानी केवल गृह सचिव की एक विशेष मंजूरी के तहत अधिकृत होता है. नियमों के तहत अधिकृत एजेंसियों को सूचित करने की आवश्यकता है. इस प्राधिकरण की अनुपस्थिति में कोई पुलिस अधिकारी भी शक्ति का प्रयोग करना शुरू कर सकता है.’
The Congress Speaks Without Thinking https://t.co/hpXvEuOZ4T
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 21, 2018
अरुण जेटली ने इस आदेश और पहले रही कांग्रेस सरकार के संबंध पर कहा, ‘कांग्रेस पार्टी पहले बोलती है और बाद में सोचती है. ये कोई सामान्य स्नूपिंग ऑर्डर नहीं है. राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में अवरोधन करने की शक्ति पहले से ही कानून में मौजूद है. यह केवल एक आदेश है कि इसके लिए कौन अधिकृत एजेंसियां होंगी. ये पहले भी मौजूद था और यूपीए सरकार के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया गया था. बड़े पैमाने पर तकनीक का इस्तेमाल करने वाले आतंकवादियों का पता कैसे लगाया जाएगा? ऐसा नहीं किया गया तो आतंकवादी आईटी का उपयोग करेंगे लेकिन खुफिया और जांच एजेंसियां अपंग रहेंगी.’
Congress Party is running since morning an ill-informed campaign that Govt. has allowed snooping on computers and is violating the Right of Privacy. The Congress Party has got into the habit of speaking out first and understanding the issue only subsequently.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 21, 2018
The Information Technology Act has been in existence for almost two decades. Section 69 of the IT Act authorises in the interest of sovereignty, integrity etc. to direct a notified agency to intercept or monitor or decrypt an information stored in a computer resource.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 21, 2018
There are safeguards, as prescribed by the Supreme Court, which are included in the rules. An interception or monitoring is only authorised under an specific approval of the Home Secretary.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 21, 2018
Congress Party talks first and thinks later. There is no general snooping order. The power to intercept in the interest of national security and public order already exists in law. This is only an order as to who are the authorised agencies.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 21, 2018
The power existed and was used during the UPA Government also. How else will terrorists who use technology extensively be traced? Otherwise, the terrorists will use IT, but the intelligence and investigative agencies will be crippled.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 21, 2018