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Arun Govil: राजेंद्र अग्रवाल पर भारी पड़े रमायण के राम, भाजपा ने मेरठ से अरुण गोविल को क्यों दिया मौका

नई दिल्लीः भाजपा ने लोकसभा उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को भी भाजपा ने टिकट दिया है। उनको मेरठ से चुनावी मैदान में उतारा गया है। वहीं अब सवाल उठ रहा है कि भाजपा ने आखिर तीन बार के सांसद […]

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Arun Govil: राजेंद्र अग्रवाल पर भारी पड़े रमायण के राम, भाजपा ने मेरठ से अरुण गोविल को क्यों दिया मौका
  • March 26, 2024 11:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्लीः भाजपा ने लोकसभा उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को भी भाजपा ने टिकट दिया है। उनको मेरठ से चुनावी मैदान में उतारा गया है। वहीं अब सवाल उठ रहा है कि भाजपा ने आखिर तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल की जगह अरुण गोविल को मेरठ से क्यों उतारा। इसकी सबसे बड़ी वजह है अरुण गोविल अग्रवाल समाज से आते हैं।

मेरठ से गहरा नाता हैं अरुण गोविल का

टीवी सीरियल रामायण के राम अरुण गोविल का मेरठ से गहरा नाता है। बता दें कि अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1952 को मेरठ के अग्रवाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रप्रकाश गोविल था। उनके पिता मेरठ नगर निगम के जल-कल विभाग में अभियंता थे। अरुण की मां का नाम शारदा देवी थी। उनकी मां एक गृहणी थीं।

अरुण गोविल के पांच भाई और दो बहनें थी। अरुण की पूरी पढ़ाई मेरठ के ही कालेज और चौधरी चरण सिंह विश्वविधयालय् से हुई है। इसके बाद वो अपना करियर बनाने मुंबई चले गए। वहां उन्होंने बड़े भाई विजय गोयल के साथ कुछ वक्त गुजारा। मुबंई पहुचने के बाद अरुण के पास दो ही रास्ते थे। पहला वह अपने भाई के साथ बिजनेस को आगे बढ़ाए, दूसरा अपनी भाभी तबस्सुम के साथ कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने का। हालांकि अरुण गोविल ने कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया।

उनकी भाभी तबस्सुम फिल्म की दुनिया का जाना पहचाना नाम थीं। तबस्सुम ने सालों तक बॉलीवुड में अपना योगदान दिया। उनका और तबस्सुम का पारिवारिक रिश्ते के साथ कला के क्षेत्र में भी गहरा नाता रहा। कई फिल्मों के बाद रामानंद सागर ने टीवी सीरियल रामायण में राम के किरदार के लिए अरुण गोविल को चुना। जिसके बाद वो रामायण के राम के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

मेरठ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल हैं

राजेंद्र अग्रवाल की दम पर ही भाजपा ने 2009 में यह सीट बसपा से छीन ली थी। 2004 में बसपा से शाहिद अखलाक सांसद चु्ने गए थे। 2009 में भाजपा ने प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक रहे राजेंद्र अग्रवाल को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था। तब राजेंद्र अग्रवाल ने धमाकेदार जीत दर्ज कर भाजपा को जीत दिलाई थी।

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