Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग कर चुके हैं ओम-अल्लाह बयान देने वाले अरशद मदनी

गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग कर चुके हैं ओम-अल्लाह बयान देने वाले अरशद मदनी

नई दिल्ली: इस समय जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी अपने ‘ओम-अल्लाह’ वाले बयान को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने कोई बेतुका बयान दिया हो. इससे पहले भी वह कई बार ऐसे ही बयान दे चुके हैं. आइए जानते हैं अरशद मदनी से जुड़ा वो बयान […]

Advertisement
  • February 13, 2023 6:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: इस समय जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी अपने ‘ओम-अल्लाह’ वाले बयान को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने कोई बेतुका बयान दिया हो. इससे पहले भी वह कई बार ऐसे ही बयान दे चुके हैं. आइए जानते हैं अरशद मदनी से जुड़ा वो बयान जब उन्होंने बाकायदा प्रेस वार्ता कर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी.

गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग

दरअसल केंद्र में बैठी भाजपा ने सरकार बनने के बाद गाय को सियासी मुद्दा बनाया था. इसपर देश भर में राजनीति और हिंसा को रोकने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. इस दौरान उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी. प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा था कि गाय से देश के एक बड़े तबके की भावना जुड़ी हुई है. आए दिन गोहत्या को लेकर माहौल बिगड़ने की स्थिति पैदा हो जाती है. अब तक देश में कई हत्याएं भी हो चुकी हैं. इन घटनाओं से बचाव करने के लिए मेरी मांग है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए.

उन्होंने अपनी इस मांग पर आगे तर्क दिया था कि इससे गाय और इंसान दोनों की रक्षा होगी.साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से गाय को सुरक्षा देने के लिए एक कानून लाने की भी मांग की थी. वह कानून यह था कि जिस तरह से मोर को और कुछ दूसरे जानवरों को नेशनल जानवर माना गया है. उसी तरह से गाय को भी राष्ट्रीय जानवर माना जाए. वह आगे भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग उठाते रहे हैं.

ये सब फालतू की बात है

जैन धर्माचार्य आचार्य लोकेश मुनि ने इस बयान को फ़ालतू करार दिया है. उनका कहना है कि ‘इन फ़ालतू के बयानों से कोई प्राचीन इतिहास सिद्ध नहीं होता. हमारा इतिहास सभी जानते हैं कि कब से सनातन या जैन परंपरा शुरू हुई है. ये बात भी सब जानते हैं कि इस्लाम कब आया. मैंने उन्हें इस बात के लिए शास्त्रार्थ का निमंत्रण दिया है.’

मस्जिदों में ॐ लिखवाने की चुनौती

ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अरसद अदनी के इस दावे के बाद उन्हें मस्जिदों में ॐ लिखवाने की चुनौती दे डाली है. उनके शब्दों में, ‘ॐ और अल्लााह एक है तो इस बात को प्रमाणित करने के लिए आपको अपनी मस्जिदों पर ॐ लिखवाना चाहिए. इसकी शुरुआत आपको काबा से करनी चाहिए। वहां पर सोने के वर्क से ॐ लिखना चाहिए. इसके बाद जामा मस्जिम और जहाँ-जहाँ अल्लाह लिखा हुआ है, वहां पर ॐ लिखवाना चाहिए क्योंकि उनकी दृष्टि से दोनों एक ही चीज है.

कारगिल युद्ध के साजिशकर्ता थे मुशर्रफ, 1965 में भारत के खिलाफ लड़े थे युद्ध

Parvez Musharraf: जानिए क्या है मुशर्रफ-धोनी कनेक्शन, लोग क्यों करते हैं याद

Advertisement