नई दिल्ली : आज यानी मंगलवार को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के उप प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया गया है. भारत ने UNSC के इस कदम का स्वागत किया है. जहां भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए खुशी जाहिर की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची […]
नई दिल्ली : आज यानी मंगलवार को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के उप प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया गया है. भारत ने UNSC के इस कदम का स्वागत किया है. जहां भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए खुशी जाहिर की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें वह फैसले की सराहना करते नज़र आ रहे हैं.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘हम राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ISIL और अल कायदा प्रतिबंध समिति द्वारा आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित करने के फैसले का स्वागत करते हैं.आतंकवाद को हम कतई बर्दाश्त नहीं करने के रुख पर कायम हैं. मक्की लश्कर ए तैयबा में इस संगठन के लिये धन जुटाने समेत नेतृत्व की कई भूमिकाओं में था. आतंकवादी संगठनों से खतरा काफी अधिक है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से प्रतिबंध एवं सूचीबद्ध किया जाना, इस तरह के खतरों एवं आतंकी आधारभूत ढांचे को ध्वस्त करने के लिए एक प्रभावशाली कदम है.’
अब्दुल रहमान मक्की को भारत और अमेरिका ने पहले ही अपने घरेलू कानूनों के तहत आतंकवादी घोषित किया हुआ है। मक्की पैसे जुटाने, जम्मू-कश्मीर में हमलों की योजना बनाने के साथ ही युवाओं को भर्ती करने और कट्टरपंथी बनाने में शामिल रहा है। बता दें कि मक्की लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बहनोई है।
गौरतलब है कि इससे पहले साल 2020 में पाकिस्तान की एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने मक्की को जेल की सजा सुनाई थी। उसे आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में मक्की दोषी ठहराया गया था। अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकी घोषित किए जाने के बाद मक्की की संपत्ति जब्त होगी और उसकी यात्रा पर प्रतिबंध लगेगा।
दरअसल पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को पाकिस्तानी मूल के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया। बता दें कि भारत ने पिछले साल यूएनएसी में लश्कर-ए-तैयबा के नेता को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग की थी, लेकिन चीन हर बार इसमें अड़ंगा लगा देता था। लेकिन इस बार चीन ने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया।
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