नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के बाद से भारत में गिग वर्कर्स की संख्या बढ़ रही है। लोग ट्रेडिशनल जॉब से ज्यादा इसे पसंद कर रहे हैं। इसी से जुड़ी हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है। फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2023 की इस रिपोर्ट से पता चला है कि कंपनियां गिग वर्कर्स का शोषण कर रही हैं। गिग वर्कर्स को उनके काम का सही मूल्य नहीं दिया जा रहा है। यहां तक की देश में 12 में से 9 कंपनियां ऐसी हैं जो गिग वर्कर्स को मिनिमम भत्ता भी नहीं दे रही हैं।
फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2023 की एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें बताया गया कि भारत की 12 में से सिर्फ 3 कंपनियां ऐसी हैं जो गिग वर्कर्स को न्यूनतम वेज पॉलिसी के तहत पैसा दे रही हैं। ये 3 कंपनियां हैं- बिग बास्केट, अर्बन कंपनी और फ्लिपकार्ट। बता दें कि ये तीनों कंपनियां लगातार दूसरे साल गिग वर्कर्स के लिए मिनिमम वेज पॉलिसी का पालन करती हुई पाई गयी हैं।
फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल टीम ने 5 फेयरवर्क प्रिंसिपल्स के आधार पर भारत के चार शहरों में 12 प्लेटफॉर्म का आकलन किया। ये फेयर प्रिंसिपल हैं- फेयर प्ले, फेयर कंडीशन्स, फेयर कॉन्ट्रेक्ट्स, फेयर मैनेजमेंट और फेयर रीप्रेंसेटेशन।
सेंटर फॉर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एंड पब्लिक पॉलिसी के नेतृत्व में फेयरवर्क इंडिया टीम ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फेयरवर्क इंडिया बेंगलुरू के साथ मिलकर ये रिपोर्ट तैयार की है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट ने भी इस रिपोर्ट पर काम किया है। देश के चार शहर जहां इसका अध्य्यन किया गया, वो हैं- नई दिल्ली, कोच्ची, तिरुअनंतपुरम और बेंगलुरू।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इन 12 कंपनियों में से किसी भी कंपनी ने 10 में से 6 से ज्यादा स्कोर नहीं किया। साथ ही कोई भी कंपनी ऐसी नहीं थी जो कि सभी पांच पॉइंट्स के ऊपर पूरी तरह से खरी उतरी हो। रिपोर्ट में सामने आया है कि अमेजन, फ्लेक्स, बिगबास्केट, स्विगी, अर्बन कंपनी, ब्लूस्मार्ट, फ्लिपकार्ट, ऊबर, जेप्टो एंड जोमैटो के प्लेटफॉर्म गिग कर्मचारियों के लिए अच्छी हैं। साथ ही यहां सेफ्टी कंडीशन्स का ध्यान रखा जाता है। सेफ्टी कंडीशन्स के लिए वर्कर्स को सेफ्टी इक्विपमेंट्स भी मुहैया कराया जाता है।
फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2023 की रिपोर्ट में यह पता चला है कि स्विगी, जोमैटो, अर्बन कंपनी, जेप्टो और बिग बास्केट अपने गिग वर्कर्स को एडीशनल कॉस्ट के बिना एक्सीडेंटल कवरेज मुहैया कराती हैं। इसके अलावा ये कंपनियां वर्कर्स का मेडिकल कारणों से काम न कर पाने की स्थिती में उनके इनकम लॉस के लिए मॉनिटरी कंपनसेशन उपलब्ध कराने की भी सुविधा देती हैं।
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गिग वर्कर्स वो होते हैं जो स्थाई कर्मचारी के ना होकर एक फ्रीलांसर या स्वंतत्र ठेकेदार की तरह काम करते हैं। गिग कर्मचारी अपने घर से ही काम करते हैं और आर्थिक तौर पर आजाद रहते हैं। ये गिग अर्थव्यवस्था का हिस्सा होते हैं। गिग अर्थव्यवस्था में वर्कर्स को स्वतंत्र रूप से कोई काम करने का ठेका दिया जाता है। हर एक काम के लिए गिग कर्मचारियों को उसका मूल्य दिया जाता है।
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