नई दिल्ली । आज से क़रीब दस वर्ष पूर्व दिल्ली के कुतुम विहार क्षेत्र से 19 वर्षीय युवती के अपहरण, बलात्कार एवं हत्या के आरोपियों के बरी हो जाने के बाद असहज महसूस कर रहे लोगों के लिए खुशी का दिन है। इस दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को छावली कांड में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मंजूरी दे दी है। इस मामले को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपना पक्ष रखेंगे।
मामला 9 फरवरी 2012 का है जब उत्तराखण्ड निवासी 19 वर्षीय युवती दिल्ली के कुतुब विहार इलाके से होते हुए ऑफिस से घर जा रही थी, उस दौरान उस युवती का अपहरण तीन लोगों द्वारा कर लिया जाता है। जिसकी रिपोर्ट पश्चिमी दिल्ली के छावला पुलिस स्टेशन मे दर्ज करवाई जाती है। 13 फरवरी को युवती की लाश हरियाणा के रेवाड़ी में स्थित रोढाई गांव में पाई जाती है साथ ही तीनों आरोपियों गिरफ्तार कर पुलिस उनकी कार भी जब्त कर लेती है।
तीनों आरोपियों को निचली आदलत द्वारा फांसी की सज़ा सुनाई जाती है, तथा हाइकोर्ट में भी निचली अदालत का यह फैसला स्वीकारा जाता है। परन्तु सुप्रीम कोर्ट मे जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने सबूतों के अभाव में रवि कुमार, राहुल और विनोद को बरी कर दिया।
पुनर्विचार याचिका का अर्थ यह होता है कि, यदि आप को लगता है कि, न्यायालय से फैसला सुनाते समय कुछ भूल हो गई है तो आप पुनर्विचार यचिका दायर कर सकते हैं। इस घटना से आहत परिवार एवं देश वासियों के लिए यह खुशी का पल है कि, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी है। इस मामले को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।
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