नई दिल्ली: महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. आखिर आचार संहिता क्या होती है और इसका पालन क्यों जरूरी होता है. दरअसल चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम-शर्तें बना रखी है. इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते है. चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के साथ आचार संहिता लागू हो जाती है. यह चुनाव परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है. चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनैतिक दल, सरकार और प्रशासन सहित सभी को इन नियमों का पालन करना होता है. पालन कराने की जिम्मेदारी प्रशासन के ऊपर होती है जो कि चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के मातहती में काम करते हैं.
आचार संहिता लगने के बाद किन कामों पर रोक होगी इसको लेकर निर्वाचन आयोग ने गाइडलाइंस के मुताबिक-
–आचार संहिता लागू होने के बाद केंद्र या राज्य सरकार किसी भी तरह की नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकती.
–चुनावी तैयारियों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. जैसे सरकारी गाड़ी, बंगला, एयरक्राफ्ट
–आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती है. जैसे होर्डिंग, बैनर व पोस्टर
–राजनीतिक दलो को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है.
–धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया सकता
–मतदाताओं को रिश्वत नहीं दी जा सकती.
–किसी भी पार्टी या प्रत्याशी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते.
–मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं कर सकते.
–मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए.
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