नई दिल्ली: विपक्ष के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को बतौर काउ हग डे (Cow Hug Day) मनाए जाने की अपील को वापस ले लिया है. दरअसल एनिमल वेलफेयर बोर्ड की ओर से अपील की गई थी कि 14 फरवरी को काउ हग डे के रूप में मनाया जाए. जिसके बाद आम […]
नई दिल्ली: विपक्ष के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को बतौर काउ हग डे (Cow Hug Day) मनाए जाने की अपील को वापस ले लिया है. दरअसल एनिमल वेलफेयर बोर्ड की ओर से अपील की गई थी कि 14 फरवरी को काउ हग डे के रूप में मनाया जाए. जिसके बाद आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसी कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया था. विपक्षी पार्टियों ने 14 फरवरी को बतौर काउ हग डे मनाए जाने के फैसले का विरोध जताया था जिसके बाद केंद्र ने अपना ये फैसला वापस ले लिया है.
The appeal issued by the Animal Welfare Board of India for celebration of Cow Hug Day on 14th February 2023 stands withdrawn. pic.twitter.com/5MvEbHPdBZ
— ANI (@ANI) February 10, 2023
14 फरवरी को काउ हग डे के तौर पर मनाने को लेकर विपक्ष ने विरोध जताया था. जिसमें शिवसेना ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था. शिवसेना ने दावा किया था कि अरबपती उद्योगपति गौतम अडानी भी प्रधानमंत्री के लिए किसी होली काउ जैसे ही हैं. दूसरी ओर टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने भी इस प्रस्ताव पर कहा कि ‘काउ हग डे’ छद्म हिंदुत्व और छद्म देशभक्ति है. इसका मुख्यधारा के मुद्दों से भटकाने का है. माकपा नेता इलामारम करीम ने काउ हग डे को हास्यास्पद और देश के लिए शर्मनाक भी बताया.
कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद रजनी पाटिल ने भी इसपर कहा कि ‘मैं भी किसान परिवार से हूं और मैं रोजाना अपनी गाय को गले लगाती हूं, लेकिन मैं ऐसा केवल एक दिन के लिए नहीं करती हूं. बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से केंद्र सरकार का यह कदम ध्यान भटकाने के लिए है.
गौरतलब है कि 6 फरवरी को एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने जारी अपील पत्र में इसके पीछे तर्क भी दिए थे. इस अपील में कहा आज्ञा था कि हम सभी जानते हैं कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो हमारे जीवन को बनाए रखती है. पशु धन और जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करती है और मानवता को सब कुछ प्रदान करने वाली मां के समान है. गाय की इसी पोषक प्रकृति के कारण इसे “कामधेनु” और “गौमाता” के रूप में जाना जाता है.
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