नई दिल्ली : अमिताभ बच्चन का नाम सदी के महानायक के तौर पर लिया जाता है. आज अमित जी पूरे 80 साल के हो गए हैं. इसी मौके पर आज हम आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से मिलवाने जा रहे हैं जिन्हें आपने शायद ही सुना हो. इन्हीं में से एक कहानी है अमिताभ […]
नई दिल्ली : अमिताभ बच्चन का नाम सदी के महानायक के तौर पर लिया जाता है. आज अमित जी पूरे 80 साल के हो गए हैं. इसी मौके पर आज हम आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से मिलवाने जा रहे हैं जिन्हें आपने शायद ही सुना हो. इन्हीं में से एक कहानी है अमिताभ बच्चन और गांधी परिवार की. जी हां! भले ही अमिताभ बच्चन का राजनीतिक सफर 3 साल का रहा हो लेकिन उनका और गांधी परिवार का रिश्ता बेहद पुराना था. दोनों के परिवारों के बीच गजब की मित्रता थी जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक गलती की वजह से दुश्मनी में बदल गई.
अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन भारतीय विदेश मंत्रालय में हिंदी अधिकारी थे. उनकी हिंदी की समझ और कविताओं से प्रधानमंत्री नेहरू काफी प्रभावित रहते. एक समय पर इंदिरा गांधी और अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन की भी ख़ास दोस्ती हो गई. दोनों का एक-दूसरे के घर आना-जाना होता था. अमिताभ बच्चन के लिए इंदिरा गांधी भी माँ के समान ही थीं. इसी पारिवारिक दोस्ती को अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की मित्रता ने आगे बढ़ाया और परिवार का ये रिश्ता और मजबूत होता चला गया.
ये मित्रता इतनी गहरी थी की जब सोनिया गांधी पहली बार राजीव गांधी के साथ भारत आई थीं तब खुद दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर अमिताभ बच्चन उन्हें लेने पहुंचे थे. तेजी बच्चन ने ही सोनिया गांधी को भारतीय तौर तरीके सिखाए. कहा ये भी जाता है कि तेजी बच्चन ने इंदिरा गांधी को राजीव और सोनिया की शादी के लिए मनाया था. जब कुली की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को गहरी चोट आई थी तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अस्पताल पहुंची थीं. पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलिवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में इस बात का ज़िक्र किया है. इस किताब में बताया गया है कि इंदिरा गांधी जब अस्पताल पहुंचती हैं तो अमिताभ उनसे नींद ना आ पाने की शिकायत करते हैं जिसे सुनकर लेडी प्राइम मिनिस्टर फूट फूटकर रोने लगती हैं.
हालांकि इन रिश्तों में राजनीति के आने से सब खराब हो गया. इलाहबाद से चुनाव लड़ने के बाद अमिताभ को भारी बहुमत से जीत तो मिली थी लेकिन गांधी परिवार के साथ इसी जीत के चलते रिश्ता खराब हो गया. ट्रांसफर आदि को लेकर अमिताभ बच्चन पार्टी के कामों में दखल देने लगे थे. ये बात राजीव गांधी को पसंद नहीं आई थी. इसके बाद राजीव गांधी के साथ अमिताभ का नाम बोफोर्स घोटाले में भी आने लगा था. इस कारण ही उन्होंने महज 3 सालों में अपना इस्तीफ़ा दे दिया. बिगड़ते रिश्तों को देखते हुए अमिताभ बच्चन का साथ अमर सिंह ने दिया. अमर समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह के करीबी थी. इसके बाद अमिताभ बच्चन की धर्मपत्नी जया बच्चन ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा.
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