नई दिल्ली. केंद्र सरकार क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC), इंडियन पेनल कोड (IPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) में बदलाव की तैयारी कर रही है। सोमवार को गृहमंत्री गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी पहुंचे और उन्होंने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च एंड एनालिसिस ऑफ नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस की शुरुआत की।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पुलिस की थर्ड डिग्री जांच के दिन अब चले गए हैं. फॉरेंसिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जरिए जांचकर पुलिस अपराधियों को गुनाहों की सजा ज्यादा से ज्यादा दिला सकती है। गृहमंत्री ने कहा कि भारत सरकार, देश के पुलिस अधिकारियों और जजों के साथ कानून विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से बात कर रही है, जिसमें सीआरपीसी और आईपीसी की धारा में परिवर्तन किया जा सके।
गृह मंत्री ने कहा, ‘भारत सरकार एक बहुत बड़ा संवाद कर रही है कि हम सीआरपीसी, आईपीसी और आईईए… तीनों में अमूल चूक परिवर्तन करना चाहते हैं। आज के समय के हिसाब से हम उनको आधुनिक बनाना चाहते हैं और जो कालबाहियां हो गई हैं, उन चीजों को निकाल कर हम आज की चुनौतियों का सामना करने के लिए नई धाराओं को जोड़ना चाहते हैं। मेरा बहुत पुराना सुझाव रहा है कि 6 साल के ऊपर सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक साइंस का विजिट अनिवार्य करना चाहिए। दिखने में यह बहुत सुनहरा सपना है लेकिन मैन पॉवर कहा है।’
अमित शाह ने नार्को टेररिज्म का भी जिक्र किया और कहा कि इससे जो धन मिलता है उसका इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए किया जाता है। इसे रोकना बेहद जरूरी है. ड्रग्स की वजह से आने वाली नस्ल तो बर्बाद होगी ही, साथ ही आतंकवाद का खतरा भी बढ़ जाएगा। इसलिए जिस नारकोटिक्स सेंटर को आज बनाया गया है, वह अपने आप में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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