नई दिल्लीः केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ लंबी चली बात चीत के बाद मणिपुर में एक प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट यानी यूएनएलएफ ने एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक पोस्ट साझा कर खुशी जाहिर की। इससे पहले, मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह […]
नई दिल्लीः केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ लंबी चली बात चीत के बाद मणिपुर में एक प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट यानी यूएनएलएफ ने एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक पोस्ट साझा कर खुशी जाहिर की। इससे पहले, मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि एक प्रतिबंधित संगठन के साथ बातचीत आगे बढ़ रही है। उन्होंने जानकारी दी थी कि बहुत जल्द एक बड़े भूमिगत संगठन के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर होंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि ‘एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल हुआ। पूर्वोत्तर के क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार के अथक प्रयासों ने पूर्ति का एक नया अध्याय जोड़ा है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मणिपुर का सबसे पुराना सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा को त्यागने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए राजी हो गया है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
इस साल मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति यानी एसटी दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलो में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए थे, जिसके बाद से राज्य में भड़की हिंसा भड़क उठी थी। जिसमे180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। बता दें कि मैतई राज्य की आबादी का 53 फीसदी हिस्सा हैं और उनमें से अधिकांश इंफाल घाटी में रहते हैं। जबकि नागा और कुकी समेत अन्य आदिवासी आबादी का 40 फीसदी हैं, जो खासतौर पर राज्य के पहाड़ी जिलों में निवास करते है।