नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा में स्थित ट्विन टावर्स को आज यानी रविवार को ध्वस्त कर दिया जएगा। जिस इमारत को बनने में लगभग 13 साल का समय लगा, वो महज कुछ ही सेकंड में नष्ट हो जाएगी. इस इमारत को गिराने के लिए वाटरफॉल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. इमारत की बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी. इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं. देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतनी बड़ी बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया जाएगा.
बताया जा रहा है कि ट्विन टावर को गिराया जाना भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश देना है. बिल्डरों और अधिकारियों के गठजोड़ से खरीददारों के साथ धोखा धड़ी की लंबी कहानी है. कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आज ट्विन टावर को ढहा दिया जाएगा.
बता दें कि बिल्डरों और अधिकारियों की मिलीभगत से खून-पसीने की कमाई एक करके अपने आशियाने के लिए पैसा जुटाने वाले कई खरीददारों का सपना टूट गया था. एमराल्ड कोर्ट के रिजिडेंट ने 12 सालों तक इस ट्विन टावर को गिराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज के दिन यानी 28 अगस्त को ट्विन टावर को गिराने की तारीख को सुनिश्चित किया. इस ट्विन टावर में एक-एक पैसा जोड़कर सैकड़ों लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे.
गौरतलब है कि इस भ्रष्टाचार की इमारत बनने की कहानी थोड़ी लंबी है. तकरीबन डेढ़ दशक पहले भ्रष्टाचार की इस बिल्डिंग के बनने की कहानी शुरु होती है. नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) के लिए भूमि आवंटन का काम 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस परियोजना के लिए नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक (Supertech) कंपनी को 84,273 वर्गमीटर भूमि आवंटित की थी. साल 2005 में मार्च के महीने में इसकी लीज डीड हुई थी, लेकिन उस वक्त लैंड की पैमाइश में घोर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया. ट्विन टावर्स में 711 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे.
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