मुंबई: कोरोना वायरस के जेएन.1 वैरिएंट पर बढ़ती परेशानियों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है. दरअसल इस बीच डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि तत्काल घबराने की कोई जरुरत नहीं है. साथ ही एजेंसी ने इसे अभी वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में दर्ज किया है कि वैरिएंट ऑफ कंसर्न करार दिए जाने तक इससे घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन हम कोई लापरवाही नहीं कर सकते हैं.
बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की कोविड टास्क फोर्स के सहायक अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया है कि जेएन.1 उप स्वरूप को लेकर कई चिकित्सा अध्ययन सामने आए हैं, जिनसे उम्मीद है कि ये बहुत अधिक गंभीर स्वरूप नहीं है, लेकिन ये तेजी से लोगों को अपनी चपेट में जरूर ले सकता है, इसमें हमे सावधानी बरतने की जरूरत है. तो आइए जानें Covid19 JN.1 से जुड़ीं 10 मुख्य बातें…..
1. भारत में अब तक Covid JN.1 सब-वैरिंएट के 26 मामले सामने आए हैं. दरअसल 25 मामलों में से 19 गोवा में, 4 राजस्थान में और एक-एक केरल, दिल्ली, महाराष्ट्र में पाए गए है.
2. गोवा में पाए गए Covid JN.1 वैरिएंट के सभी 19 मामले अब ठीक हो चुके हैं. दरअसल मरीजों से एकत्र किए गए नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान इस नए वैरिएंट का पता चला था.
3. गोवा के महामारी विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत सूर्यवंशी ने बताया है कि जेएन.1 वैरिएंट वाले मरीजों में हल्के लक्षण थे और वो अब ठीक हो गए हैं.
4. इससे पहले बुधवार को जेएन.1 सब-वैरिएंट के 2 मामले जैसलमेर में सामने आए, और 2 अन्य मामले गुरुवार को जयपुर में सामने आए है.
5. भारत में 594 ताजा कोविड-19 मामले पाए गए है. साथ ही देश में अब सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 2,669 हो गई है.
6. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने Covid JN.1 को वर्तमान सबूतों के आधार पर कम जोखिम वाला दावा किया है. हालांकि इसके मूल वैरिएंट BA.2.86 से अलग और वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर बांटा गया है.
7. बता दें कि इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में हर 24 में से 1 व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है, और लंदन इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. इसकी वजह अधिक संक्रामक जेएन.1 वैरिएंट को बताया जा रहा है.
8. पूरे इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में कोरोना का कुल दर 4.2% है, और लंदन में ये दर 6.1% रिकॉर्ड की गई है.
9. यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की एक संयुक्त ख़बरों की मानें तो ये वैरिएंट 18 से 44 साल की उम्र के लोगों में बहुत तेजी से फैसला लिया है.
10. कोरोना के बढ़ते मामलों का कारण ठंड का मौसम, छोटे दिनों और सर्दी के मौसम में बढ़ते सामाजिक मेलजोल को भी बताया गया है. साथ ही सांस लेने के अनुकूल वातावरण की वजह से ये वैरिएंट ज्यादा तेजी से भी फैल रही है.
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