Lok Sabha Election: कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में 22 मई यानी बुधवार को कहा कि वोटर टर्नआउट डेटा प्रत्याशी और उनके एजेंट के अलावा किसी के साथ भी साझा करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है। निर्वाचन […]
Lok Sabha Election: कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में 22 मई यानी बुधवार को कहा कि वोटर टर्नआउट डेटा प्रत्याशी और उनके एजेंट के अलावा किसी के साथ भी साझा करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है।
निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि एक पॉलिंग बूथ में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी की डिटेल सार्वजनिक नहीं की जा सकती, ऐसा करने से पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है, क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना भी बढ़ जाती है।
चुनाव आयोग ने कहा कि केंद्र-वार वोटिंग प्रतिशत डेटा के अविवेकपूर्ण खुलासे और अगर इसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है तो चुनावी मशीनरी में अराजकता फैल जाएगी, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में लगी हुई है। साथ ही चुनाव आयोग ने इस इल्जाम को भी गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज किया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में वोटिंग के दिन जारी किए गए आंकड़ों और बाद में दोनों चरणों में 5-6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई। दरअसल चुनाव आयोग ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका के जवाब में दायर 225 पजे के हलफनामें में यह बात कही है।
यह भी पढ़े-
Aadhaar Card: क्या 14 जून के बाद बेकार हो जाएंगे पुराने आधार कार्ड, यहां जानें सही बात