देश-प्रदेश

धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी कमीशन ने भारत से उठाए सवाल, ब्लैक लिस्ट करने की मांग

नई दिल्ली: अमेरिका के एक कमीशन ने भारत को विशेष चिंता वाले देशों की सूची में शामिल करने और धार्मिक स्वतंत्रता मामले में ब्लैक लिस्ट करने की सिफारिश की है. आयोग ने कहा कि भारत में साल 2022 में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति खराब रही है. यह अभी चौथी बार है जब आयोग ने फिर से सिफारिश की है.

पिछले 3 सालों से भारत अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के निशाने पर है. आपको बता दें कि आयोग ने लगातार चौथे साल भारत की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर ब्लैकलिस्टेड करने की सिफारिश की है. आयोग ने कहा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को खासकर मुस्लिमों के लिए स्थिति बिगड़ती जा रही है.

बता दें कि संयुक्त राज्य आयोग (USCIRF) ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने वार्षिक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ (Country of Particular Concern, CPC) के रूप में नामित करने का अनुरोध किया है.

साल 2020 से ही अमेरिकी आयोग की मांग

अमेरिकी आयोग की साल 2020 से ही मांग है कि भारत को विशेष चिंता वाले देश के रूप में शामिल किया जाए. बता दें कि किसी देश पर यह टैग लगने का अर्थ है कि सरकार धार्मिक स्वतंत्रता का नियमित रूप से गंभीर उल्लंघन कर रही है. अगर अमेरिका विदेश मंत्रालय किसी देश पर यह टैग लगाता है तो उस देश पर अमेरिका से आर्थिक लेन देन पर प्रतिबंध भी लगते हैं. और ये लेबल उन देशों पर लगाई जाती है जो धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं.

क्या धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की सिफारिशों को अपनाएगा अमेरिका?

अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के पास नीति-निर्धारण जैसा कोई अधिकार नहीं है. धार्मिक स्वतंत्रता आयोग सिर्फ अपनी सिफारिशें दे सकता है. बता दें कि पिछले 4 सालों से आयोग इस तरह की सिफारिशें कर रहा है वहीं अमेरिकी विदेश विभाग उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज करते आया है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि पिछली कई सिफारिशों के बाद भी बाइडेन प्रशासन ने भारत पर विशेष चिंता वाले देश का लेबल नहीं लगाया है.

रिपोर्ट में क्या लिखा

वहीं जारी रिपोर्ट में लिखा गया है कि ‘अमेरिका और भारत ने व्यापार और तकनीक में मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखा है. बता दें कि 2022 में भारत अमेरिका का व्यापार 120 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा. पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन G20 और G7 शिखर सम्मेलन और क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन सहित कई बड़े अवसरों पर मिलते भी रहे हैं.’

भारत के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं

आयोग की रिपोर्ट पर फिलहाल भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. जब पिछले साल आयोग ने भारत को लेकर ऐसी सिफारिश की थी तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता (अरिंदम बागची) ने अमेरिकी अधिकारियों पर गलत टिप्पणी और पक्षपाती का आरोप लगाते हुए कहा था, ‘मौलिक रूप से एकलवादी समाज के रूप में, भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है.’

SAURABH CHATURVEDI

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