वॉशिंगटन: अमेरिका ने भारत पर धार्मिक भेदभाव करने का आरोप लगाया है. बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने 2023 के लिए धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारतीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा के बारे में बताया गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट जारी करते हुए खासकर भारत का नाम लिया. मोदी 3.0 में अमेरिका का मोदी सरकार पर यह पहला हमला है .ब्लिंकन ने बिना नाम लिए मोदी सरकार पर मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। इस सूची में भारत के अलावा पाकिस्तान, चीन, ईरान, रूस,तालिबान, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताज़िकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और म्यांमार सहित 10 देशों को शामिल किया गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भारत में अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के सदस्यों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है.” इसके अलावा, अमेरिकी राजदूत रशद हुसैन ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए भारतीय पुलिस पर ईसाइयों को निशाना बनाने के वक्त मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया . उन्होंने आगे कहा भारत में, ईसाई समुदायों ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने धर्मांतरण गतिविधियों के आरोपों पर पूजा सेवाओं को बाधित करने वाली भीड़ की सहायता करती है और भीड़ के द्वारा उन पर हमले के दौरान चुप-चाप देखते रहती है.
भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों और राजनीतिक विरोधियों के बयानों का हवाला देते हुए 69 पन्नों की ‘भारत 2023 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट’ में “वैध धार्मिक प्रथाओं” के लिए “मनगढ़ंत आरोपों” पर ईसाइयों और मुसलमानों के कथित उत्पीड़न पर चिंता जताई गई है और रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 28 राज्यों में से 10 राज्यों में”सभी धर्मों के लिए धार्मिक रूपांतरण को प्रतिबंधित करने वाले” कानून बनाए हैं। जिसमें कहा गया है कि भारतीय संविधान “विवेक की स्वतंत्रता और सभी व्यक्तियों को धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार” प्रदान करता है।
अमेरिका ने अपने रिपोर्ट में कहा कि जो भी न्यूज़ आउटलेट या एनजीओ ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर बात करता है .उन पर एफसीआरए के जरिए सख्त निगरानी रखी जाती है. रिपोर्ट में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च नाम की एक एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द करने के बारे में जिक्र किया है. रिपोर्ट के अनुसार एनजीओ, धार्मिक, सामाजिक, और जातीय स्तर पर हो रहे भेदभाव पर रिपोर्ट करने का काम करते हैं, लेकिन गृह मंत्रालय ने इसका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में भारत के ग़ैर सरकारी संगठनों ने ईसाइयों के ख़िलाफ हिंसा की 687 घटनाए हुई जिसमें धर्मांतरण क़ानून के अतंर्गत लोगों को हिरासत में रखा. इन घटनाओं के बारे में रिपोर्ट में जिक्र करते हुए कहा कि जनवरी महीने में छत्तीसगढ़ के अंदर एक हिंदू भीड़ ने ईसाइयों पर हमला किया और चर्च में तोड़फोड़ की साथ ही भीड़ ने लोगों को हिंदू धर्म में कन्वर्ट करने की कोशिश की.इतना ही नहीं अपना धर्म न त्यागने पर करीब 30 लोगों के साथ मारपीट की गई.
इस रिपोर्ट में मणिपुर हिंसा के बारे में भी चर्चा की गई. और कहा कि जून 2023 में मणिपुर में सबसे ज्यादा हिंसा हुई है जिसकी वजह से करीब 500 से अधिक चर्चों को ध्वस्त किया गया .इसके अलावा 70 हज़ार लोगों को विस्थापित होना पड़ा. रिपोर्ट के अनुसार इस हिंसा के लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की गई.इसमें यूएन के विशेषज्ञ भी शामिल थे.उन्होंने कहा कि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई.इसके अलावा मणिपुर में जारी हिंसा के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अगस्त के महीने में हिंसा की जांच के लिए आगे आया और कहा कि राज्य में पुलिस स्थिति पर अपना नियंत्रण खो चुकी है.
2019 में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था .370 राज्य को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करता था.इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था.इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की सरकार ने कश्मीरी पत्रकारों, धार्मिक नेताओं और मानवाधिकारों की वकालत करने वालों को हिरासत में लेना जारी रखा है.साथ ही रिर्पोट में इरफ़ान मेहराज की गिरफ़्तारी की भी चर्चा की गई है.
रिपोर्ट में निज्जर की हत्या का जिक्र किया गया है .और कहा कि विदेश में रहने वाले अलग-अलग धार्मिक समुदाय के लोगों को भारत द्वारा निशाना बनाने के मामलों में भी तेज़ी से वृद्धि हुई है.रिपोर्ट के अनुसार सितंबर महीने में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सिख एक्टिविस्ट हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने का आरोप लगाया था. और नवंबर महीने में अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की भी कोशिश की गई.
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