असदुद्दीन ओवैसी के तीन तलाक बिल में संशोधन प्रस्ताव पर सिर्फ दो वोट आए वहीं विपक्ष में 242 वोट पड़े. जिसके कारण उनका प्रस्ताव खारिज कर दिया गया. लोकसभा में तो सरकार ने मजबूत बहुमत के दम पर तीन तलाक बिल को आसानी से पास करा लिया और विपक्ष की बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेजने की मांग को ठुकरा दिया लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है और जब बिल वहां पेश होगा तो गेम विपक्ष के पाले में होगा.
नई दिल्ली. लोकसभा में तीन तलाक बिल पर हुई वोटिंग में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गए. ओवैसी के पहले संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ दो वोट आए थे वहीं, विरोध में 241 वोट पड़े. दूसरे संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में भी दो और विरोध में 242 वोट पड़े. पहले ध्वनिमत से ओवैसी के संशोधन प्रस्ताव गिरा दिए गए थे लेकिन ओवैसी ने वोटिंग कराने की मांग की जिसके बाद वोटिंग हुई. लोकसभा ने ओवैसी के साथ-साथ कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव, बीजू जनता दल के सांसद भर्तुहरि महताब, आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन और सीपीएम सांसद ए संपत के संशोधन प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया.
ओवैसी ने तीन तलाक को जुर्म बनाकर उसके लिए सजा मुकर्रर करने की सरकार की कोशिश का जमकर विरोध किया. ओवैसी ने कहा कि ये बिल मोदी सरकार अपने स्वार्थ के चलते लेकर आई है और उसकी मुस्लिम महिलाओं की मदद करने की बात केवल बहाना है. ओवैसी ने अपने भाषण के अंत में एक कहानी सुनाकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने मछलिओं और बंदर की कहानी सुनाकर इस बिल का विरोध किया.
ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक वैध न होने के समर्थन में तर्क दिया जा रहा है कि कई इस्लामिक देशों में ऐसा है लेकिन इन इस्लामिक देशों में तीन तलाक देना जुर्म नहीं है और न ही इसके लिए सजा मुकर्रर है. ओवैसी ने कहा कि अगर सरकार वाकई महिलाओं को लेकर, उनके हितों को लेकर गंभीर है तो वो हिंदू परित्यक्ता महिलाओं को लेकर ऐसा कोई कानून क्यों नहीं बनाती. इसके साथ ही ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसा था. उन्होंने कहा कि देश में ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जिसमें 20 लाख उन महिलाओं को भी न्याय मिलना चाहिए जो दूसरे समुदाय से आती हैं जिसमें गुजरात वाली भाभी भी शामिल हैं.