अंबेडकर जयंती 2018: संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की 127वीं जयंती पर उनको याद कर रहा है देश

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर को हम संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं. लेकिन उन्होंने राष्ट्र निर्माण करने वाली कई संस्थाओं और कदमों को उठाने में भी अहम भूमिका निभाई. चाहे वह महिला का सामाजिक दर्जा उठाने की बात हो, काम के घंटे बारह से घटाकर आठ करने की पहल हो या फिर भारतीय रिजर्व बैंक की परिकल्पना बाबा साहब ने राष्ट्र निर्माण के हर पहलू पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अंबेडकर जयंती 2018

Advertisement
अंबेडकर जयंती 2018: संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की 127वीं जयंती पर उनको याद कर रहा है देश

Aanchal Pandey

  • April 14, 2018 3:19 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. आज संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की 127वीं जयंती के मौके पर देश उन्हें याद कर रहा है. बाबा साहेब की 127वीं जयंती के मौके पर देश भर में विविध कार्यक्रमों का शुरुआत हो चुकी है. महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी पहली बार बाबा साहब की जयंती मना रही है. इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को बूथ लेबल पर बाबा साहब के कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश दिया है.

वहीं 02 अप्रैल को दलित संगठनों के भारत बंद और 10 अप्रैल को सवर्णों के आरक्षण के विरोध में भारत बंद के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी. जिसके मद्देनजर गृहमंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए अंबेडकर जयंती पर ऐतिहात बरतने के आदेश दिए है. जिसके कारण अंबेडकर जयंती पर किसी भी प्रकार की अनहोनी को टालने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क हो गई है. प्रशासन ने सभी जिला अधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को संवेदनशील स्थानों पर पुलिस गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

चीफ सेक्रेटरी ने साफ तौर पर कहा है कि जंयती के दिन जानमाल की हानि, हिंसा जैसी घटनाएं किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए. सुरक्षा व्यवस्था हर हाल में चाक चौबंद रहनी चाहिए. हिंसा की किसी भी प्रकार की संभावनाओं को टाला जाए. दरअसल देश के कई हिस्सों में अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने की घटनाओं से राज्य सरकार चिंतित है.

बता दें कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को केंद्रीय प्रांत (अब मध्य प्रदेश) के ‘म्हो’ में हुआ था. उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल सेना में सूबेदार मेजर थे तथा उस समय महो छावनी में तैनात थे. बाबा साहब के परिवार के महार जाति से संबंधित था, कट्टरपंथी सवर्ण इस जाति के लोगों को स्पृश्य समझकर उनके साथ भेदभाव एवं बुरा व्यवहार करते थे. छुआछूत इतनी चरम सीमा पर था कि भीमराव को स्कूल में अन्य बच्चों से अलग एवं कक्षा के बाहर बैठाया जाता था. उन्होंने दलितों को छुआछूत और उनके अधिकार के लिए इसे जड़ से खत्म करने की प्रतिज्ञा ठान ली। और जीवन भर दलितों के लिए और देश के लिए लड़ते रहे.

ग्रेटर नोएडा में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा तोड़ी, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

भीमराव अंबेडकर पर सियासत का हैरान करने वाला नजारा, बाबा साहेब की मूर्ति पर चढ़ाया नीले की बजाय भगवा रंग

Tags

Advertisement