नई दिल्ली. Alpesh Thakor And Udayanraje Bhosale Defeat in Assembly Election: 24 अक्टूबर को चुनाव आयोग की ओर से जारी हुए नतीजों में दलबदलू नेताओं की करारी हार हुई हैं. इन नेताओं में सबसे बड़े नाम अल्पेश ठाकोर और उदयन राजे भोसले के हैं. गुजरात की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को जारी हो गए. राधनपुर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अल्पेश ठाकोर हार गए हैं. चुनाव से पहले कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले अल्पेश ठाकोर को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा पर हुए उपचुनाव में भी चौंकाने वाला परिणाम देखने को मिला. यहां पर एनसीपी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले शिवारी महाराज के वशंज उदयन राजे भोसले भी हार गए हैं. गुजरात विधानसभा के 6 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा के खाते में 3-3 सीटें आई हैं.
अल्पेश ठाकोर और उदयन राजे भोसले में एक समानता है कि दोनों ने अपने पुरानी पार्टी को छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इन दोनों को उन्हीं की पुरानी पार्टी के प्रत्याशियों से करारी हार मिली है. सबसे पहले बात करते हैं गुजरात के ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर की. अल्पेश ठाकोर पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान गुजरात में ओबीसी नेता के तौर उभरे थे, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था. अल्पेश ठाकोर ने पिछले बार के 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत भी गए थे. जीत के बाद अल्पेश ठाकोर की सोच में बदलाव होने लगा और कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 2019 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अल्पेश ने भाजपा का दामन थाम लिया. अल्पेश ठाकोर के इस्तीफे से राधनपुर सीट खाली हो गई, जिस वजह से यहां पर उपचुनाव कराया गया. उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी सीट पर जीत बरकार रखी और कांग्रेस के उम्मीदवार रघुभाई देसाई ने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए अल्पेश ठाकोर को 3,807 वोटों से हरा दिया. ऐसा कहा जा रहा था कि अल्पेश ठाकोर अगर चुनाव जीत जाते तो, उन्हें मंत्री बनाया जा सकता था, लेकिन जनता के इस फैसेले के आगे ठाकोर का मंत्री बनने का सपना चकनाचूर हो गया है.
अब बात करते हैं दूसरे दलबदलू नेता उदयन राजे भोसले की. उदयन राज भोसले छत्रपति शिवाजी महाराज के वशंज हैं. उदयन राजे को भी एनसीपी छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना भारी पड़ गया. विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले ही उदयन राजे शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राकांपा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे. उदयन राज ने 2019 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. इससे पहले 2014 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उदयन राज सतारा सीट से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे. सतारा लोकसभी सीट को शरद पवारी की पार्टी राकंपा का गढ़ माना जाता है.
उदयन का साथ छोड़ने के बाद शरद पवार ने दो बार के एमपी और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल श्री निवास पाटिल को उदयन राजे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था. शरद पवार ने इस सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी बारिश में रैली को संबोधित किया था. प्रत्याशी श्री निवास पाटिल ने भी उन्हें निराश नहीं किया और उदयन राजे को करीब 87 हजार वोटों से हरा दिया है. एनसीपी छोड़कर भाजपा में शमिल हुए लोगों की हार पर रांकपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा ‘जो लोग उन्हें छोड़कर दूसरी पार्टियों में गए थे, उन्हें जनता ने नकार दिया है. पार्टी बदलना ऐसे लोगों के काम नहीं आ सका.’
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