नई दिल्ली: मोदी सरकार ने GST को लेकर बड़ा फैसला लिया है जहां जीएसटी नेटवर्क को धन शोधन रोकथाम कानून के दायरे में ला दिया गया है. जिसके तहत अब ED यानी प्रवर्तन निदेशालय को GST नेटवर्क के साथ सूचना साझा करने की अनुमति दे दी गई है. ऐसे में जीएसटी चोरी या फर्जी चालान […]
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने GST को लेकर बड़ा फैसला लिया है जहां जीएसटी नेटवर्क को धन शोधन रोकथाम कानून के दायरे में ला दिया गया है. जिसके तहत अब ED यानी प्रवर्तन निदेशालय को GST नेटवर्क के साथ सूचना साझा करने की अनुमति दे दी गई है. ऐसे में जीएसटी चोरी या फर्जी चालान बनाकर आईटीसी का दावा करने वालों को परेशानी हो सकती है. अब ED भी उन लोगों के खिलाफ जांच कर सकेगी. ऐसे लोगों के खिलाफ धन शोधन रोकथाम कानून के ‘तहत मुकदमा चलाया जा सकेगा।
धन शोधन रोधक कानून के प्रावधानों में संशोधन कर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. फर्जीवाड़ा रोकने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर साझा कार्रवाई की है. पिछले कुछ महीनों में GST में फर्ज़ीवाड़े के आंकड़े बढ़ गए हैं जिसे देखते हुए कई ऐसी कंपनियां हैं जिनके खिलाफ भारी रकम छिपाने का मामला सामने आया है. सरकार मान रही है कि कई ऐसी फ़र्ज़ी कंपनियां हैं जिन्होंने GST पंजीकरण तो करवा लिया है लेकिन ये कंपनियां विदेशी मुद्रा का उल्लंघन कर रही हैं. दूसरी ओर सरकार को आशंका है कि कई कंपनियां फ़र्ज़ी बिल के जरिए कर की चोरी भी कर रही हैं. इस तरह से GSTN के डाटा की पूरी जानकारी ईडी को दी जाएगी.
इस मामले को लेकर कर विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटीएन को PMLA के तहत अधिसूचित करने से एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार होगा, जिससे ऐसे लोगों पर शिकंजा कस उन्हें बकाया कर भुगतान करने के लिए बाध्य किया जाएगा जिन्होंने बड़ी कर चोरी की है.इस सूची में वो मुखौटा कंपनियां भी शामिल हैं जो फर्जी जीएसटी पंजीकरण करके कर की चोरी शामिल होती हैं.