Alok Verma Supreme Court Verdict: आलोक वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने आलोक वर्मा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा को हटाने से पहले सेलेक्ट कमेटी से पूछना चाहिए था.
नई दिल्ली. सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा को हटाने से पहले सेलेक्ट कमेटी से पूछना चाहिए था. उन्होंने विनीत नारायण केस का हवाला दिया. कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के नरेंद्र मोदी सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा नीतिगत फैसले नहीं लेंगे और चाहे तो उनपर कार्रवाई की जा सकती है. कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद 6 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल वर्मा और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. दोनों अधिकारियों के बीच कलह इतनी बढ़ गई थी कि केंद्र सरकार को दखल देना पड़ा. सीबीआई के 77 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब बात एजेंसी की इज्जत पर आ गई.
क्या था मामला: सीबीआई ने मीट सप्लायर मोइन कुरैशी के खिलाफ एक मामले को रफा-दफा करने के लिए 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के कथित आरोप में राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया था. इसके बाद अस्थाना ने अपने बॉस आलोक वर्मा पर एक दर्जन से ज्यादा मामलों में रिश्वत लेने का आरोप लगाया. इसके बाद 22 अक्टूबर को सीबीआई ने अपने डीएसपी देवेंद्र कुमार के अरेस्ट किया था. मोइन कुरैशी मामले में देवेंद्र कुमार को एक गवाह सतीश साना के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के आरोप के बाद अरेस्ट किया गया. मामला बढ़ता देख सरकार ने दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया और सारे अधिकार छीन लिए. इसके बाद वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली.
इसके बाद विपक्ष ने मोदी सरकार को जमकर घेरा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि पीएम के चहेते, गुजरात कैडर के अफसर और गोधरा पर बनी एसआईटी से मशहूर हुए और सीबीआई में नंबर दो बनाए गए अफसर को घूस लेते पकड़ा गया है. राहुल ने कहा कि पीएम मोदी के राज में सीबीआई राजनीतिक बदला लेने का हथियार बन गई है. सीबीआई गर्त में जा रहा है और खुद के लड़ रहा है.